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GST Update: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कहा कि जीएसटी दरों में की गई कटौती से यदि राजस्व कम होता है, तो इसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार अलग से मुआवजा नहीं देगी. उनके अनुसार, इस फैसले का असर केंद्र और राज्यों दोनों पर बराबर पड़ेगा. जीएसटी परिषद ने हाल ही में बड़ा बदलाव करते हुए कर ढांचे को सरल बनाया है और अब चार स्लैब की जगह केवल दो स्लैब—5% और 18%—लागू होंगे. नई व्यवस्था 22 सितंबर से लागू होगी, जिससे कारोबार और उपभोग दोनों स्तरों पर तेजी आने की उम्मीद है.

राज्यों की आशंकाओं पर सीतारमण ने दिया स्पष्ट संदेश

जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में कई राज्यों ने कर दरों में कमी के बाद संभावित राजस्व घाटे पर चिंता जताई थी. विपक्ष-शासित प्रदेशों ने सवाल उठाया कि यदि आय घटेगी तो नुकसान की भरपाई कौन करेगा. इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद “दाता और ग्राही” का मंच नहीं है, बल्कि यह सभी सरकारों की साझा जिम्मेदारी है.

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कर संग्रह के बंटवारे में केंद्र और राज्यों की समान हिस्सेदारी

सीतारमण ने समझाया कि जीएसटी से मिलने वाली कुल आय में केंद्र और राज्य का हिस्सा 50-50 है. केंद्र के हिस्से में आने वाले राजस्व का भी 41% सीधे राज्यों को वापस चला जाता है. इस हिसाब से वास्तव में केंद्र के पास केवल 23% राशि ही बचती है. इसलिए घाटे का बोझ राज्यों के साथ-साथ केंद्र को भी उतना ही उठाना होगा.

चार स्लैब खत्म कर जीएसटी दरों को दो स्तर पर सीमित किया गया

जीएसटी परिषद ने इस महीने की शुरुआत में कर ढांचे को और आसान बनाने के लिए बड़ा निर्णय लिया. अब तक लागू चार स्लैब को घटाकर केवल दो प्रमुख दरें रखी गई हैं—5% और 18%. हालांकि, विलासिता की वस्तुओं और हानिकारक उत्पादों पर विशेष 40% दर पहले की तरह जारी रहेगी.

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गलत वर्गीकरण और कर चोरी से अतीत में घटा राजस्व

वित्त मंत्री ने बताया कि पहले कई वस्तुओं को गलत श्रेणी में डालकर कम कर दर का लाभ उठाया जाता था, जिससे सरकार को नुकसान हुआ. उन्होंने उदाहरण दिया कि पॉपकॉर्न के मीठे और नमकीन संस्करण पर अलग-अलग दरें लागू थीं, जिससे भ्रम और कर चोरी की स्थिति बनती थी. नई संरचना में इन खामियों को दूर कर दिया गया है.

राज्यों को अतिरिक्त मुआवजा देने का कोई इरादा नहीं

सीतारमण ने दोहराया कि केंद्र किसी भी हालत में अलग से मुआवजा नहीं देगा. उनके अनुसार, जीएसटी की आय और उसका नुकसान दोनों साझी जिम्मेदारी हैं और इसका असर सभी पर समान रूप से पड़ेगा.

नई पीढ़ी के जीएसटी सुधार से पारदर्शिता और मांग में बढ़ोतरी

वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि हालिया दर कटौती और नया ढांचा “नई पीढ़ी के जीएसटी सुधार” की दिशा में अहम कदम साबित होगा. उनका कहना है कि इससे कर प्रणाली ज्यादा पारदर्शी और सरल होगी, साथ ही उपभोक्ता मांग भी बढ़ेगी.

दो लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि अर्थव्यवस्था में प्रवाहित होगी

सीतारमण ने दावा किया कि नई व्यवस्था से करीब दो लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त रूप से बाजार में आएंगे. इससे आम उपभोक्ताओं और व्यापार जगत दोनों को सीधा लाभ होगा. वित्त मंत्री के मुताबिक, इस सुधार से देश की 140 करोड़ की आबादी की क्रय शक्ति में इजाफा होगा.

22 सितंबर से लागू होंगे जीएसटी दरों में किए गए बदलाव

वित्त मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि संशोधित दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी. इसके बाद से व्यापारियों और उपभोक्ताओं को नई दरों का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.

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