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Vice President Election Result: भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो गया है और भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन देश के 17वें उपराष्ट्रपति चुने गए हैं. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराया. इस चुनाव में निर्वाचक मंडल के 781 सदस्यों में से 767 ने मतदान किया, जिनमें से एक डाक मतपत्र था. मतदान प्रक्रिया मंगलवार सुबह 10 बजे शुरू होकर शाम 5 बजे समाप्त हुई.

मतदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत 760 से अधिक सांसदों ने हिस्सा लिया.

कितने सदस्यों ने डाला वोट

राज्यसभा के 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य, लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य इस चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. मौजूदा समय में पांच राज्यसभा और एक लोकसभा सीट खाली होने के कारण कुल 781 सदस्य मतदान के पात्र थे, जिनमें से 767 ने हिस्सा लिया. इनमें से 15 वोट अमान्य घोषित किए गए.

पीएम मोदी ने दी बधाई

जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी. उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि राधाकृष्णन का जीवन समाज सेवा और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने में बीता है और उपराष्ट्रपति के रूप में वे संवैधानिक मूल्यों और संसदीय संवाद को और मजबूत करेंगे.

किन पार्टियों ने दूरी बनाई

चुनाव प्रक्रिया से कई दलों ने दूरी बनाए रखी. बीजू जनता दल (बीजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

कौन हैं सीपी राधाकृष्णन?

चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (67 वर्ष) का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ. बचपन से ही वे आरएसएस और जनसंघ से जुड़े रहे. उन्होंने व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री ली और 16 साल की उम्र में आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में काम शुरू किया.

राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीते. हालांकि बाद में वे तीन चुनाव हार गए. तमिलनाडु में सभी राजनीतिक दलों में उनका सम्मान है और इसी कारण उन्हें भाजपा ने कई राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया. वे ओबीसी समुदाय से आते हैं और समर्थक उन्हें अक्सर ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं.

राज्यपाल के रूप में कार्यकाल

31 जुलाई 2024 को राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली थी. इससे पहले वे डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल रहे. इसी दौरान उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया. अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी निभाने के बावजूद वे लगातार तमिलनाडु से जुड़े रहे और कई कार्यक्रमों में भाग लेते रहे.

राजनीति और संगठनात्मक यात्रा

राधाकृष्णन 1974 में जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी में शामिल हुए और 1996 में भाजपा की तमिलनाडु इकाई के सचिव बने. सांसद रहते हुए उन्होंने कई संसदीय समितियों में अध्यक्ष और सदस्य के तौर पर भूमिका निभाई. 2004 से 2007 के बीच वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इस दौरान उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ निकाली, जो 93 दिनों तक चली.

खेलों से भी रहा लगाव, टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन

राजनीति से पहले राधाकृष्णन खेलों में भी सक्रिय रहे. वे कॉलेज स्तर पर टेबल टेनिस चैंपियन और लंबे दूरी के धावक भी रहे. माना जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा एनडीए से नाता तोड़ने के बाद भाजपा के लिए नए गठबंधन बनाने में उनकी अहम भूमिका रही.

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