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PM Modi Visit China : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन का दौरा कर सकते हैं. अगर यह यात्रा होती है, तो यह गलवान घाटी की झड़प के करीब पांच साल बाद पहली आधिकारिक चीन यात्रा होगी. इस दौरान वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. यह समिट चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होनी है. इससे पहले पीएम मोदी 30 अगस्त को जापान में भारत-जापान शिखर वार्ता में शामिल होंगे.

पहले जापान, फिर चीन — कूटनीतिक संतुलन का संकेत

अपनी विदेश यात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी जापान से करेंगे, जहां वे जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ वार्षिक द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होंगे. इसके बाद वे सीधे तियानजिन रवाना होंगे, जहां SCO समिट में हिस्सा लेंगे. हालांकि भारत सरकार की ओर से अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इंडिया टुडे की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

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गलवान के बाद पहली चीन यात्रा, कई स्तर पर मायने रखता है दौरा

यह दौरा इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि मई 2020 की गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में भारी तनाव आ गया था. इस घटना में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे और तब से चीन के साथ सभी उच्च स्तरीय यात्राएं बंद थीं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की संभावित चीन यात्रा न केवल बर्फीले रिश्तों को थोड़ा गर्माने का संकेत है, बल्कि इससे अमेरिका और भारत के बीच मौजूदा टैरिफ विवाद के बीच चीन के साथ संवाद को भी संतुलित किया जा सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, इस समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हो सकते हैं. ऐसे में मोदी-शी-पुतिन की त्रिकोणीय मौजूदगी वैश्विक कूटनीति के लिहाज से बड़ा संकेत मानी जा रही है.

मोदी-शी की आखिरी मुलाकात और आगे की संभावनाएं

प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार जून 2018 में चीन में आयोजित एससीओ समिट में हिस्सा लिया था. इसके बाद अक्टूबर 2019 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भारत के महाबलीपुरम आए थे. लेकिन लद्दाख विवाद ने रिश्तों को गंभीर रूप से प्रभावित किया.

हालांकि, 2024 में कजान (रूस) में हुई मोदी-शी बैठक के बाद दोनों देशों ने संवाद तंत्रों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया. इसके तहत देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी हुई, कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने की बात चली, और चीनी नागरिकों को भारतीय टूरिस्ट वीजा जारी करने जैसे फैसले लिए गए. दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर भी चर्चा चल रही है.

भारत ने फिर जताया – पहले देशहित, फिर बाकी सब

पीएम मोदी का संभावित चीन दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है कि भारत अपने हितों के आधार पर निर्णय लेता है, चाहे वह अमेरिका हो या चीन. यह दौरा उस वैश्विक मंच पर हो रहा है जहां भारत, चीन, रूस, ईरान, मध्य एशियाई देश और पाकिस्तान जैसे देश साथ बैठते हैं.(इनपुट भाषा)

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