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Millionaires Village: गांव जहां हर घर में करोड़पति रहते हैं, जानकर रह जाएंगे हैरान

Millionaires Village: भारत में कई ऐसे गांव हैं, जहां गरीबों के बजाय अमीरों की भीड़ रहती है. गुजरात का मधापार गांव इनमें सबसे खास है, जिसे ‘करोड़पतियों का गांव’ भी कहा जाता है.

भारत का सबसे अमीर गांव.
भारत का सबसे अमीर गांव.

Millionaires Village: भारत के गांवों को अक्सर गरीबों का बसेरा माना जाता है, लेकिन यह धारणा हमेशा सच नहीं होती. गुजरात का कच्छ जिला ऐसा ही एक गांव समेटे हुए है, जिसे ‘एशिया का सबसे अमीर गांव’ और ‘करोड़पतियों का गांव’ कहा जाता है. मधापार गांव की समृद्धि की वजह इसके हर घर में रहने वाले संपन्न लोग और विदेशों में बसे एनआरआई हैं, जिन्होंने स्थानीय अर्थव्यवस्था को विश्वस्तरीय बना दिया है.

भुज से मात्र 3 किलोमीटर दूर है मधापार

मधापार गांव भुज से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर स्थित है और यह अपनी आधुनिक सुविधाओं और आर्थिक ताकत के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. गांव की समृद्धि का मुख्य कारण इसकी एनआरआई आबादी, मेहनती लोग और अपनी जड़ों से जुड़ाव है. सर्वेक्षण के अनुसार, मधापार की जीवनशैली और आर्थिक स्थिति किसी बड़े शहर से कम नहीं है.

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42,500 के आसपास आबादी और बैंकिंग ताकत

मधापार में लगभग 32,000 से 42,500 लोग रहते हैं, जिनमें 65% से अधिक लोग विदेशों में बसे हैं. ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और अफ्रीका में बसे ये लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा गांव में जमा करते हैं. गांव में 17 प्रमुख बैंकों की शाखाएं हैं, जिनमें एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक शामिल हैं. कुल जमा राशि 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये बताई जाती है, प्रति व्यक्ति औसतन 15-20 लाख रुपये. डाकघरों में भी लगभग 200 करोड़ रुपये जमा हैं, जो मधापार की वित्तीय मजबूती को दर्शाते हैं.

समृद्धि का रहस्य: एनआरआई और कृषि

गांव की समृद्धि का सबसे बड़ा कारण इसकी एनआरआई आबादी है. 1,200 से 1,500 परिवार विदेशों में रहते हैं और अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा गांव के बैंकों और डाकघरों में जमा करते हैं. ये लोग मुख्य रूप से लेउवा पाटीदार समुदाय से हैं, जो व्यापार और निर्माण में सक्रिय हैं. 1968 में लंदन में स्थापित ‘मधापार विलेज एसोसिएशन’ ने विदेश में बसे लोगों को गांव से जोड़कर रखा.
साथ ही कृषि भी गांव की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है. यहां मक्का, आम और गन्ना की खेती होती है, जो स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में भेजी जाती है. एनआरआई योगदान और कृषि आय ने मधापार को आर्थिक रूप से सशक्त बना दिया है.

आधुनिक सुविधाएं और शिक्षा

मधापार गांव में आधुनिक सुविधाओं की कोई कमी नहीं है. स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, शॉपिंग मॉल, स्विमिंग पूल और आधुनिक गौशाला मौजूद हैं. साफ-सुथरी सड़कें, जल आपूर्ति और स्वच्छता व्यवस्था इसे शहरों से भी बेहतर बनाती हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी मधापार अग्रणी है, जहां प्री-स्कूल से हाई स्कूल तक हिंदी और अंग्रेजी माध्यम की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

इतिहास और सांस्कृतिक विरासत

मधापार की स्थापना 12वीं सदी में कच्छ के मिस्त्री समुदाय द्वारा की गई थी. गांव का नाम केजीके समुदाय के मधा कांजी सोलंकी के नाम पर रखा गया, जो 1473-74 में धनेटी से यहां आए थे. समय के साथ विभिन्न समुदायों ने यहां निवास किया, लेकिन लेउवा पाटीदार समुदाय का प्रभाव सबसे अधिक रहा.

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