RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार 10वीं बार नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. मगर, होम लोन सस्ता भी नहीं होगा.
RBI Announcement: आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की ओर से रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है. रेपो रेट को एमपीसी 51वीं बैठक में चर्चा के बाद 6.5% पर बरकरार रखा गया. लगातार 10वीं बार नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक के बाद 9 अक्टूबर 2024 बुधवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट का ऐलान किया है. मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मौद्रिक नीति महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सफल रही है. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रुख को बदलकर तटस्थ करने का निर्णय किया. आरबीआई एमपीसी के फैसले से यह बात साफ है कि फिलहाल आम लोगों के होम लोन की ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होने वाला.
बेहतर मानसून रहने पर घटेगी खाद्य महंगाई
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बेहतर मानसून, पर्याप्त बफर स्टॉक की वजह से इस साल आगे खाद्य महंगाई में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि लचीले मौद्रिक नीति ढांचे को आठ साल पूरे हो गए हैं. यह प्रमुख संरचनात्मक सुधार है. महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े अर्थव्यवस्था में मजबूत गतिविधियों के संकेत दे रहे हैं, बुनियाद मजबूत बनी हुई है. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निवेश का हिस्सा 2012-13 से सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है.
रेपो रेट बढ़ाने पर जानें क्या होता है?
- महंगा कर्ज: रेपो रेट बढ़ने से बैंकों को ऋण लेना महंगा हो जाता है, जिससे वे अपनी ऋण दरें बढ़ा देते हैं। इससे आपके घर, कार या व्यक्तिगत ऋण की ईएमआई बढ़ जाती है।
- महंगाई पर नियंत्रण: रेपो रेट बढ़ने से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, लेकिन आर्थिक विकास धीमा हो जाता है।
- धन आपूर्ति में कमी: रेपो रेट बढ़ने से वाणिज्यिक बैंकों के लिए केंद्रीय बैंक से उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे धन आपूर्ति में कमी आती है।
रेपो रेट घटाने पर जानें प्रभाव:
- सस्ते ऋण: रेपो रेट घट जाने से बैंकों को ऋण लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे अपनी ऋण दरें घटा देते हैं। इससे आपके ऋण की ईएमआई कम हो जाती है ¹.
- आर्थिक विकास: रेपो रेट घट जाने से आर्थिक विकास को गति मिलती है, लेकिन इससे मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है।
- धन आपूर्ति में वृद्धि: रेपो रेट घट जाने से वाणिज्यिक बैंकों के लिए केंद्रीय बैंक से उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे धन आपूर्ति में वृद्धि होती है।
आरबीआई गवर्नर ने जानें क्या कहा?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. घरेलू मांग में सुधार, कच्चे माल की कम लागत और सरकारी नीतियों से विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आ रही है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर को यथावत रखने के पक्ष में 5:1 से फैसला किया है.
होम लोन की ईएमआई में नहीं होगी कमी
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की ओर से रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है.