Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने रेकी कर हमला करने की 3 जगह चुनी थी, लेकिन, उन्होंने बैसरन घाटी को ही निशाना बनाया. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए इस भीषण आतंकी हमले ने सुरक्षाबलों के सामने खुफिया जानकारी जुटाने की एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी. जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों के अनुसार, यह हमला एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसे चार आतंकियों और उनके स्थानीय सहयोगियों (OGWs) ने मिलकर अंजाम दिया. इन चार आतंकियों में से दो पाकिस्तानी थे, जिनके नाम मूसा और अली बताए गए हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आतंकी 15 अप्रैल को ही अपने स्थानीय संपर्कों की मदद से पहलगाम पहुं गए थे. इसके बाद, उन्होंने इलाके में कई भीड़भाड़ वाले और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों की रेकी की. उनका मुख्य उद्देश्य था ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना.
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कैसे हुई रेकी? किन जगहों को चुना गया
आतंकवादियों ने हमला करने से पहले जम्मू-कश्मीर में कई इलाकों की रेकी की थी. इसमें पहला नाम आरु घाटी का है. हालंकि, आतंकियों ने सुरक्षा बलों के कैंप मौजूद होने के कारण इस जगह को छोड़ दिया। दूसरा विकल्प आरु घाटी के पास ही स्थित एक एम्यूजमेंट पार्क था. लेकिन, आतंकियों ने यहाँ कम भीड़ होने के कारण इस विकल्प को भी त्याग दिया। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर स्थित बेताब घाटी भी आतंकियों के निशाने पर थी.
यहां लोगों की अच्छी खासी भीड़ होती है, लेकिन अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती ने आतंकियों को यहाँ हमला करने से रोक दिया.
आतंकियों ने क्यों चुनी बैसरन घाटी?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसरन घाटी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, लेकिन यह अमरनाथ यात्रा मार्ग से थोड़ा दूर है. आतंकियों ने इसी वजह से इस जगह को हमले के लिए चुना. 19 अप्रैल को इस घाटी की रेकी की गई थी, जिसके बाद 22 अप्रैल को दोपहर 2 बजे OGW को घाटी में पहुंचने के लिए कहा गया. और फिर, 2.28 बजे पर हमला शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई.
तलाशी अभियान और अब तक की जानकारी
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच दो बार कोकरनाग और डूरु के जंगलों में मुठभेड़ हुई. सुरक्षाबलों ने आतंकियों को बाहर निकालने के लिए जंगल के कुछ हिस्सों में आग भी लगाई, लेकिन अभी तक सिर्फ दो ही आतंकियों को देखा जा सका है.