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मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट केस में बड़ा मोड़ आया है. सुप्रीम कोर्ट ने बंबई हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने आरोपियों को नोटिस जारी कर राज्य सरकार की अपील पर उनका जवाब मांगा है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषमुक्त करने के फैसले को अभी कानूनी मिसाल नहीं माना जाएगा और उस पर अस्थायी रूप से रोक रहेगी.

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यदि हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहता है तो इसका व्यापक असर मकोका के तहत चल रहे अन्य मामलों पर भी पड़ेगा. उन्होंने आग्रह किया कि फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए ताकि इसके प्रभाव से बचा जा सके.

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हाईकोर्ट ने सबूतों को बताया ‘अविश्वसनीय’

हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया. पीठ ने यह भी कहा कि यह मानना मुश्किल है कि इन आरोपियों ने अपराध किया. इससे पहले विशेष अदालत ने इन 12 आरोपियों में से 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हालांकि, फांसी की सजा पाने वाले एक आरोपी की 2021 में मौत हो चुकी है.

11 जुलाई 2006 को दहली थी मुंबई

मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 को हुए सात सिलसिलेवार बम धमाकों में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों घायल हो गए थे. ये धमाके उपनगरीय ट्रेनों में पिक आवर के दौरान किए गए थे, जिससे मुंबई की रफ्तार थम गई थी और देशभर में दहशत फैल गई थी.

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