- HelloCities24 स्पेशल
- Home
- Shravani Mela Live
- एजुकेशन
- ऑटो
- कोलकाता
- क्राइम
- खेल
- जनरल नॉलेज न्यूज
- जमशेदपुर
- झारखंड
- टेक्नोलॉजी
- धनबाद
- धर्म
- नौकरी न्यूज
- पटना
- पश्चिम बंगाल
- पूर्णिया
- पॉलिटिक्स
- बड़ी खबर
- बिजनेस
- बिहार
- बिहार चुनाव
- बॉलीवुड
- बोकारो
- भागलपुर
- भोजपुरी सिनेमा
- मनोरंजन
- मुजफ्फरपुर
- मौसम
- रांची
- राज्य
- राशिफल
- राष्ट्रीय
- रिजल्ट
- लाइफ स्टाइल
- वर्ल्ड
- वीडियो

Jharkhand News: झारखंड की राजधानी रांची के सदर अस्पताल में जल्द ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो सकती है. यह सुविधा उन मरीजों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है जो रक्त संबंधी बीमारियों जैसे सिकल सेल एनीमिया, विभिन्न प्रकार के ब्लड कैंसर और थैलेसीमिया से पीड़ित हैं. इस नई व्यवस्था से मरीजों को वेल्लोर, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में जाना नहीं पड़ेगा. बोन मैरो ट्रांसप्लांट इन गंभीर बीमारियों के इलाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, अब तक झारखंड और आसपास के राज्यों के सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसलिए, जब भी ब्लड कैंसर और अन्य रक्त संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, तो मरीजों को वेल्लोर, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में जाना पड़ता है. इससे उन्हें काफी परेशानी होती है और इलाज पर बहुत अधिक पैसा खर्च होता है.
दूसरे शहर जाने पर 20 लाख रुपये तक होते हैं खर्च
रांची के सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने की पहल ब्लड कैंसर या इससे जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए एक बड़ी राहत है. जानकारी के अनुसार, एक मरीज को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए दूसरे शहर जाने पर लगभग 16 से 20 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, जो एक बहुत बड़ी रकम है.
मरीज की आगे की देखभाल स्थानीय डॉक्टर करेंगे
बताया जा रहा है कि सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है. इस संबंध में, देश के कुछ प्रमुख डॉक्टरों से बात चल रही है, और वे लगभग तैयार भी हैं. ये डॉक्टर जरूरत पड़ने पर मरीजों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने के लिए रांची आएंगे, जिसके बाद मरीज की आगे की देखभाल स्थानीय डॉक्टर करेंगे. इसके लिए, सदर अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर की तरह ही एक विशेष वार्ड बनाया जाएगा. साथ ही, नर्सों को भी इस प्रक्रिया के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा.
काफी राहत मिलने की उम्मीद
रक्त संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों, जैसे थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए, यह सुविधा बहुत महत्वपूर्ण होगी. यदि ऐसे बच्चों का 5 साल की उम्र तक बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो जाता है, तो उनके स्वस्थ होने की संभावना 50 से 60% तक बढ़ जाती है. इसी तरह, ल्यूकेमिया (विभिन्न प्रकार के ब्लड कैंसर) के इलाज में भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट का उपयोग किया जाता है. इसलिए, रांची में यह सुविधा शुरू होने से राज्य के लोगों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है. रांची में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू होने से, उन मरीजों को भी अपना इलाज कराने का मौका मिलेगा जो पैसे की कमी के कारण इलाज नहीं करवा पाते हैं.