Jharkhand News : नकली का चलन न सिर्फ खाने-पीने की चीजों तक रहा है, बल्कि दवाओं में भी हो गया है. नकली दवाओं के गोरखधंधे से मरीजों की जिंदगी दांव पर लगी है. झारखंड के बाजारों में भी नकली और सब स्टैंडर्ड क्वालिटी की दवाओं की बिक्री हो रही है. नकली दवा सप्लाई करने वाले गिरोह सक्रिय है. मरीजों को दवा का कोर्स पूरा करने के बावजूद राहत नहीं मिल रही है.
Jharkhand News: झारखंड में दवा खाने के बाद भी कोर्स पूरा नहीं हो रहा है और न ही रोगी स्वस्थ्य हो रहे हैं. डॉक्टरों को भी बार-बार दवादयां बदलनी पड़ रही है. यह सब नकली या अमानक दवाओं की खरीद-बिक्री के फल-फूल रहे कारोबार से हो रहा है. फर्जी दवा सप्लायर झारखंड में धड़ल्ले से अपना कारोबार कर रहे हैं. इस गोरख धंधे से मरीजोंकी जिंदगी दांव पर लगी है. कुछ दिन पहले ही केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने बाजार में नामी दवा कंपनियों द्वारा तैयार बुखार, शुगर, बीपी, गैस और एलर्जी की दवाओं के क्वालिटी टेस्ट में फेल होने की पुष्टि की है.
अस्पताल तक पहुंचा गए हैं नकली दवा
फर्जी दवा सप्लायर द्वारा नकली दवाओं के अस्पतालों तक पहुंचाने का मामला भी सामने आ चुका है. तीन माह पहले सुखदेव नगर थाना क्षेत्र स्थित सरकार के शहरी स्वास्थ्य केंद्र में नकली एंटीबायोटिक टैबलेट पकड़ी गयी. जब राज्य औषधि निदेशालय के निर्देश पर औषधि निरीक्षकों ने इसकी जांच की, तो दवा निर्माता, सप्लायर और दोनों के पते फर्जी पाये गये. दवा के नमूनों की जांच की गयी, तो पता चला कि टैबलेट में संबंधित दवा के मॉलीक्यूल ही नहीं हैं. दवा कंपनी के नाम पर प्राथमिकी दर्ज तक करायी गयी. बावजूद, इसके नकदी दवाओं के कारोबार पर विराम नहीं लगा, बल्कि बढ़ता चला गया.
ऐसे करें असली और नकली की पहचान
असली-नकली दवा की पहचान होनी चाहिए. इसके लिए सरकार के निर्देश पर कंपनियों द्वारा क्यूआर कोड जारी किया जा रहा है. बाजार में उपलब्ध करीब 1,500 दवाओं पर क्यूआर कोड जारी है. स्कैन करने मात्र से दवाओं का पूरा ब्योरा मिल जायेगा.
औषधि निरीक्षकों को मिला नकली दवाओं को पता लगाने और जब्त करने का टास्क
राज्य औषधि निदेशालय ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के आदेश पर सभी औषधि निरीक्षकों को सब स्टैंडर्ड व नकली दवाओं का पता लगाने और उन्हेें जब्त करने का टास्क दिया है. आदेश में कहा गया है कि कोलकाता के एक लैब में कई दवाओं की क्वालिटी जांच फेल हुई है, इसलिए उनकी गहनता से जांच की जाये. झारखंड औषधि निदेशालय के संयुक्त निदेशक सुजीत कुमार ने बताया कि ‘ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940’ के तहत सब स्टैंडर्ड दवाओं के निर्माता पर कार्रवाई का प्रावधान है.
दवाओं का पूरा नहीं हो रहा कोर्स, बीमार रह जा रहे हैं मरीज
नकली दवाओं के कारोबार का असर झारखंड के शहरों पर पड़ रहा है. नकली दवा खाने से मरीजों का कोर्स पूरा नहीं हो रहा है और वह बीमार ही रह जा रहे हैं. डॉक्टरों को भी परेशानी हो रही है. उन्होंने मरीजों की दवाई बार-बार बदलनी पड़ रही है. बावजूद, इसके मरीज स्वस्थ्य नहीं हो रहे हैं. डॉक्टर और मरीज दोनों हैरत में हैं. रिम्स में मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विद्यापति के अनुसार अगर दवाओं की क्वालिटी ही खराब होगी, तो बीमारी कैसे ठीक की जा सकती है? बाजार में लाने से पहले ड्रग एंड कंट्रोल विभाग को दवाओं की क्वालिटी की जांच करा लेनी चाहिए.