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अरब सागर में फिर आमने-सामने आएंगी भारत-पाकिस्तान की नौसेना, दुनिया की निगाहें टिकीं

India Pakistan Drills: भारत-पाकिस्तान की नौसेना 11 अगस्त से अरब सागर में एक साथ नौसैनिक अभ्यास करेंगी. यह अभ्यास दोनों देशों की सामरिक तैयारियों और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा.

आमने-सामने आएंगी भारत-पाकिस्तान की नौसेना
आमने-सामने आएंगी भारत-पाकिस्तान की नौसेना

India Pakistan Drills: भारत-पाकिस्तान की नौसेना 11 अगस्त से अरब सागर में नौसैनिक अभ्यास करेंगी. यह अभ्यास पिछले साल 7 मई को हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पहली बार हो रहा है. दोनों देश अलग-अलग जलक्षेत्रों में एक साथ अपनी नौसेनाओं की सामरिक तैयारी और समुद्री सुरक्षा के लिए अभ्यास करेंगे. दोनों नौसेनाओं ने अपने-अपने क्षेत्र में नोटिस टू एयरमेन (NOTAMs) जारी किए हैं, जिससे हवाई यातायात पर अस्थायी प्रतिबंध लगेंगे. इस अभ्यास से क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा, और दुनिया की नजरें इस अभ्यास पर टिकी रहेंगी.

नोटिस टू एयरमेन जारी, हवाई यातायात पर होगा नियंत्रण

भारत और पाकिस्तान ने अरब सागर में नौसैनिक अभ्यास के लिए नोटिस टू एयरमेन (NOTAMs) जारी किए हैं. भारतीय नौसेना के युद्धपोत 11-12 अगस्त को अभ्यास करेंगे, जबकि पाकिस्तान ने भी अपने जलक्षेत्र में इसी समय नौसैनिक अभ्यास का नोटम जारी किया है. यह हवाई यातायात पर अस्थायी प्रतिबंध लगाता है ताकि अभ्यास सुरक्षित ढंग से हो सके.

पुलवामा हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ

22 अप्रैल को पुलवामा आतंकी हमले में 26 जवान शहीद हुए थे. इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जहां 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. यह ऑपरेशन भारत की ताकत और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम था.

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भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई और शत्रुता समाप्ति

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई को विफल कर दिया. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर बमबारी की, जिससे पाकिस्तान ने युद्ध समाप्त करने की गुहार लगाई. दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद बिना किसी तीसरे पक्ष के मध्यस्थता के शत्रुता समाप्त हुई.

अभ्यास से क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को मिलेगा फायदा

यह नौसैनिक अभ्यास भारत और पाकिस्तान दोनों की नौसेनाओं की सामरिक क्षमताओं को मजबूत करेगा और अरब सागर में समुद्री सुरक्षा बढ़ाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा और क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित होगी.

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