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Bhagalpur: जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सेना के हवलदार संतोष यादव का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके पैतृक गांव भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत इस्माइलपुर प्रखंड के पछियारी टोला डिमाहा लाया गया. तिरंगे में लिपटा वीर जवान जब गांव पहुंचा तो हर कोई नम आंखों से अंतिम दर्शन को उमड़ पड़ा.
जीरोमाइल से भिट्ठा गांव तक निकली शव यात्रा
सुबह छह बजे शहीद का पार्थिव शरीर काफिले के साथ नवगछिया के जीरोमाइल पहुंचा, जहां पहले से हजारों लोग मौजूद थे. वहां से शव यात्रा नवगछिया बस स्टैंड, लक्ष्मीपुर रोड, नारायणपुर, चंडीस्थान होते हुए भिट्ठा गांव पहुंची. रास्ते भर लोगों ने फूल बरसाकर अपने वीर सपूत को अंतिम श्रद्धांजलि दी और “शहीद अमर रहें” के नारे लगाए.
पत्नी ने रखा निर्जला व्रत, जताई थी अनोखी जिद
शहीद की पत्नी साधना कुमारी ने पति की शहादत की खबर सुनने के बाद अन्न और जल का त्याग कर दिया था. उनका कहना था कि जब तक वह अपने पति के हाथों से पानी नहीं पी लेंगी, तब तक कुछ ग्रहण नहीं करेंगी. यह जिद उनके अटूट प्रेम और आस्था की मिसाल बन गई.
सूखे होठों से भी न तोड़ी तपस्या
बुधवार को जब पूर्णिया सांसद पप्पू यादव शहीद के घर पहुंचे, तो उन्होंने साधना को पानी पीने की अपील की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उनके होठ सूख चुके थे, पास बैठी महिलाएं कपड़ा भिंगोकर उनका मुंह साफ कर रही थीं, फिर भी उन्होंने पानी नहीं पिया.
शहीद के हाथों ही पिलाया गया पानी, भावुक हुआ हर कोई
गुरुवार को जब संतोष यादव का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पत्नी की इच्छा के अनुसार प्रतीकात्मक रूप से उनके हाथों के सहारे साधना को पानी पिलाया गया. यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं. यह क्षण सिर्फ एक पत्नी की श्रद्धा नहीं, बल्कि एक सैनिक के सम्मान का सबसे गहरा उदाहरण बन गया.
गांव में शोक और गर्व का माहौल
पूरे गांव में शोक और गर्व का मिला-जुला माहौल था. एक ओर परिवार ने अपना बेटा, पति और पिता खोया, वहीं पूरे देश को एक वीर जवान का गर्व मिला. हवलदार संतोष यादव की शहादत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गई है.