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Nepal Gen Z protest Video: नेपाल में युवा सड़कों पर उतर आए हैं, भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के विरोध में हिंसा फैल रही है. ‘जेन जी’ के आंदोलन में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इसी बीच नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
सड़कों पर उतरी सेना, काठमांडू में हालात तनावपूर्ण
काठमांडू में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात किया गया. हजारों युवा, जिनमें स्कूली छात्र भी शामिल थे, ‘जेन जी’ के बैनर तले संसद भवन के सामने जमा हुए और सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने की मांग की. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने आए हैं. लोग मर रहे हैं, अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. सरकार हमारी कोई परवाह नहीं कर रही.”
इसे भी पढ़ें-नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर बवाल; काठमांडू में कर्फ्यू, झड़प में 1 युवक की मौत
#WATCH | Nepal: People in Kathmandu stage a massive protest against the government over alleged corruption and the recent ban on social media platforms, including Facebook, Instagram, WhatsApp and others.
— ANI (@ANI) September 8, 2025
At least 18 people have died and more than 250 people have been injured… pic.twitter.com/zz0mLm5VQ6
संसद परिसर में घुसे प्रदर्शनकारी, पुलिस ने किया काबू
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्थिति उस समय बिगड़ी जब कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए. इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया.
वाहनों में आग, कर्फ्यू लागू
विरोध प्रदर्शन में कई वाहनों को आग के हवाले किया गया. हिंसा के बाद प्रशासन ने राजधानी के कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया. काठमांडू जिला प्रशासन ने संसद भवन के आसपास 12:30 बजे से रात 10 बजे तक निषेधाज्ञा जारी की. मुख्य जिला अधिकारी छबि लाल रिजाल ने कहा कि इस दौरान किसी भी तरह के प्रदर्शन, सभा या धरना की अनुमति नहीं होगी.
बाद में ये आदेश राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास के क्षेत्रों में भी लागू किए गए.
सोशल मीडिया प्रतिबंध, जनता में नाराजगी
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को अनिवार्य पंजीकरण न करने वाले 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे फेसबुक और व्हाट्सऐप पर प्रतिबंध लगा दिया. सरकार का कहना है कि यह विनियमन के लिए किया गया है, लेकिन आम जनता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रही है.
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि “राष्ट्र को कमजोर करने के प्रयास बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.”
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