
Janmashtami 2025 Date: इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तिथि को लेकर भक्तों में दुविधा है. पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:50 बजे शुरू होकर 16 अगस्त रात 9:35 बजे समाप्त होगी. चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए 2025 में जन्मोत्सव 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. पूजन का शुभ समय रात 12:45 से 1:26 बजे के बीच रहेगा. इस बार भरणी नक्षत्र में जन्माष्टमी पड़ेगी. 15 अगस्त की सुबह तक अश्विनी नक्षत्र रहेगा और उसके बाद भरणी नक्षत्र आरंभ होगा. रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4:38 बजे शुरू होगा, मगर उस दिन नवमी तिथि होने से उत्सव 16 अगस्त को ही मान्य है.
मध्यरात्रि में ऐसे करें कान्हा का स्वागत
रात्रि बारह बजे “ॐ क्रीं कृष्णाय नमः” मंत्र का जाप करें. दक्षिणावर्ती शंख में घी, दूध, दही, शक्कर और शहद मिलाकर अभिषेक करें. भगवान को चंदन का तिलक लगाकर श्रृंगार करें और माखन-मिश्री, धनिया-सौंठ पंजरी, मोरपंख, तुलसी, गुलाल व अबीर अर्पित कर आरती करें. इस दिन श्रद्धापूर्वक गोविंद भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है.
व्रत व दिनचर्या के नियम
सुबह उठकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें. स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. लड्डू गोपाल या श्रीकृष्ण के बाल रूप की मूर्ति वाली जगह को गंगाजल से शुद्ध करें और अशोक पत्तियां, फूल, माला और सुगंधित वस्तुओं से सजाएं. बच्चों के लिए पालना और छोटे-छोटे खिलौने रखें. निराहार या फलाहार व्रत रखें, शाम को भजन संध्या करें और रात्रि में पंचामृत से अभिषेक करें. माखन, मिठाई और तुलसीदल का भोग अर्पित कर सुख-शांति की प्रार्थना करें और प्रसाद बांटें.
- जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का मन में जाप करें.
- इसके बाद स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें.
- जिस स्थान पर श्रीकृष्ण के बाल रूप, लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित है, वहां साफ-सफाई करके गंगाजल डालकर जगह को शुद्ध करें.
- उस स्थान को अशोक की पत्तियों, फूलों, माला और सुगंधित वस्तुओं से सजाएं.
- बच्चों के लिए वहां छोटे-छोटे खिलौने रखें और पालना सजाएं.
- प्रसन्न मन से श्रीहरि का कीर्तन करें और व्रत रखें.
- संभव हो तो निराहार या फलाहार व्रत रखें.
- शाम को भजन संध्या में भगवान की पूजा करें और रात्रि में पंचामृत से अभिषेक करें.
- प्रभु को मिठाई, माखन आदि भोग अर्पित करें और तुलसी दल चढ़ाएं.
- अंत में जीवन में सुख-शांति की कामना करें और प्रसाद का वितरण करें.
व्रत न रख पाने पर क्या करें?
अगर व्रत संभव न हो तो किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भरपेट भोजन कराएं. यह भी न हो तो उतना धन दें जिससे वह दो समय का भोजन कर सके. अंतिम विकल्प के रूप में गायत्री मंत्र की 11 माला जपना भी उतना ही पुण्यकारी है.
विशेष मंत्र और स्तोत्र का महत्व
संतान सुख के लिए: “संतान गोपाल स्तोत्र” का पाठ करें.
दाम्पत्य जीवन में प्रेम के लिए: श्रीकृष्ण मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख से जलाभिषेक करें, शहद और इलायची का भोग लगाएं और “क्लीं कृष्णाय स्वाहा” मंत्र का 108 बार जाप करें.
जन्माष्टमी की कथा और संदेश
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के अत्याचार से मुक्ति दिलाने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था. माता देवकी और वासुदेव के संकट के बीच भी, उनका प्राकट्य भव्य और अद्भुत रहा. यह पर्व हमें सिखाता है कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए साहस और भक्ति का मार्ग अपनाना आवश्यक है. जन्माष्टमी प्रेम, भक्ति और कर्म का संदेश देती है. श्रद्धापूर्वक पूजन और व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
FAQ:
प्रश्न: जन्माष्टमी 2025 की सही तारीख और शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: 16 अगस्त 2025 को, रात 12:45 से 1:26 बजे तक पूजन का शुभ समय है.
प्रश्न: व्रत न कर पाने की स्थिति में क्या करें?
उत्तर: जरूरतमंद को भोजन या धन दें, गायत्री मंत्र की 11 माला जपें, संतान सुख हेतु संतान गोपाल स्तोत्र पढ़ें और दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य हेतु “क्लीं कृष्णाय स्वाहा” मंत्र का जाप करें.
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