India Alert Due China President Xi Jinping Missing: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो सप्ताह से सार्वजनिक मंचों से पूरी तरह गायब हैं. न तो उन्हें किसी सरकारी कार्यक्रम में देखा गया है, न ही ‘पीपुल्स डेली’ जैसे आधिकारिक अखबार में उनका कोई ज़िक्र हुआ है. वहीं, पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता लगातार कूटनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हैं. इसके साथ ही, उनकी सुरक्षा घटा दी गई है और उनके पिता की समाधि का आधिकारिक दर्जा भी हटा लिया गया है. इन घटनाओं ने चीन की सत्ता के गलियारों में हलचल तेज कर दी है. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि पीएलए के जनरल झांग यूक्सिया से उनका टकराव हुआ है, जो अब सत्ता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं. भारत के लिए यह स्थिति नई रणनीतिक चुनौती बन सकती है.
शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी से उभरे गंभीर संकेत
चीन के राजनीतिक गलियारे में इन दिनों असामान्य खामोशी है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग न सिर्फ लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं, बल्कि उनकी शक्तियों में कटौती के भी संकेत मिल रहे हैं. हाल ही में जब उन्होंने बेलारूस के राष्ट्रपति से मुलाकात की, तो वहां वह राजकीय भव्यता नहीं दिखी जो आमतौर पर चीनी कूटनीति का हिस्सा होती है. यहां तक कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी सामान्य से आधी कर दी गई है.
झांग यूक्सिया से तनातनी, सेना में खिंचाव
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के ताकतवर जनरल झांग यूक्सिया और शी जिनपिंग के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं. झांग वही शख्स हैं जिन्होंने शी को तीसरा कार्यकाल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि झांग को पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ गुट का समर्थन मिल रहा है और वे सत्ता में परिवर्तन की भूमिका में हैं.
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लापता हो रहे हैं जिनपिंग के करीबी
शी जिनपिंग के कई भरोसेमंद सैन्य अफसर या तो सार्वजनिक जीवन से अचानक गायब हो गए हैं या फिर पद से हटा दिए गए हैं. यह घटनाएं चीन की सत्ता संस्कृति के उस पैटर्न की याद दिला रही हैं, जिसमें नेताओं को अचानक दरकिनार कर दिया जाता है.
क्या वांग यी होंगे अगला चेहरा?
चीन के कूटनीतिक गलियारे में वांग यी का नाम अब तेजी से उभर रहा है. उन्हें संतुलित और सुधारवादी छवि वाला नेता माना जाता है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो वांग यी एक संभावित विकल्प हो सकते हैं.
भारत को क्यों रहना चाहिए सतर्क?
चीन के अंदरूनी राजनीतिक अस्थिरता का असर बाहरी नीति पर भी पड़ सकता है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में पीएलए की पश्चिमी थिएटर कमान में जो बदलाव हुए हैं, उनका असर भारत-चीन सीमा, खासकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर पड़ सकता है. ऐसे में भारत को पूरी सतर्कता के साथ इस स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है.
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