Shravani Mela 2025: सावन महीने में शिवभक्ति की कई मिसालें देखने को मिलती हैं, लेकिन इस बार सुल्तानगंज से देवघर के कांवरिया पथ पर एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं. कोलकाता से आए रंजीत चटर्जी नामक दिव्यांग कांवरिया, जो पैरों से चलने में असमर्थ हैं, अपने दोनों हाथों और घुटनों के बल सैकड़ों किलोमीटर की कठिन यात्रा पर निकल पड़े हैं.
उनका लक्ष्य केवल एक है — देवघर पहुंचकर बाबा भोलेनाथ को गंगाजल अर्पित करना. रंजीत की यह अटूट आस्था न केवल दूसरों के लिए प्रेरणा बन रही है, बल्कि शिवभक्ति की चरम सीमा भी दिखा रही है.
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हथेलियों के सहारे कठिन यात्रा, आस्था का अनुपम उदाहरण
रंजीत चटर्जी की यह यात्रा सामान्य यात्राओं से अलग है. उन्होंने न तो किसी सहायता उपकरण का सहारा लिया है, न ही किसी वाहन का. उनके पास है सिर्फ मजबूत विश्वास और बाबा भोले पर अटूट श्रद्धा. रास्ते में हर कोई उन्हें देखकर ठहर जाता है.
श्रद्धालु उनके हाथों में पट्टियां बांधने, पानी देने और आशीर्वाद लेने के लिए उमड़ पड़ते हैं. यह दृश्य बताता है कि भक्ति के लिए शरीर की नहीं, मन की शक्ति चाहिए. सावन में बाबा तक रेंगकर पहुंचने की यह साधना करोड़ों लोगों को सच्ची आस्था का पाठ पढ़ा रही है.
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