UNION BUDGET 2024: झारखंड के खजाने के खस्ताहाल होने की बला फिलहाल टल गई. चुनावी साल में विकास या कल्याण की योजनाओं पर भी आफत की आशंका दूर हो गई है. भारत सरकार ने केंद्रीय करों में झारखंड की हिस्सेदारी चार हजार सात सौ बीस करोड़ बढ़ा दी है. पिछले साल यह 36, 525 करोड़ 60 लाख थी. जो 2024-25 के वित्तीय वर्ष के लिए बढ़कर 41 हजार 245 करोड़ 28 लाख हो गई है.
UNION BUDGET 2024 : केंद्रीय बजट में झारखंड को चुनावी तोहफा पाने में भले ही निराशा हाथ लगी है, लेकिन केंद्रीय करों में झारखंड की हिस्सेदारी 4720 करोड़ से अधिक बढ़ गई है. जो साल भर तक झारखंड की विकास योजनाओं को राहत का ऑक्सीजन देने के काम आएगी.
भारत सरकार की ओर से केंद्रीय करों में यह हिस्सेदारी कॉरपोरेशन टैक्स, इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स, सीजीएसटी, सीमा शुल्क और अन्य करों के तहत राज्य को दी जाती है. वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) लागू होने के बाद केंद्र सरकार का उत्पाद शुल्क अब केवल पेट्रोलियम और कुछ खास उत्पादों पर ही लगता है. इसमें वसूली गई राशि भी राज्यों के उनके तय अनुपात के हिसाब से बांट दी जाती है.
इनकम टैक्स में मिलेंगे 14 हजार 264 करोड़
झारखंड को केंद्रीय करों में सबसे अधिक हिस्सेदारी इनकम टैक्स के तहत मिलेगी. इस मद में भारत सरकार केंद्र को 14264 करोड़ नौ लाख रुपये देने जा रही है. इसी तरह दूसरी सबसे अधिक हिस्सेदारी कॉरपोरेशन टैक्स के रूप में 12 हजार 385 करोड़ मिलने जा रही है. कॉरपोरेशन टैक्स राज्य में काम कर रही बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों के मुनाफे से वसूली गई कर की राशि में से हिस्सेदारी के तौर पर दी जाती है. 400 करोड़ से अधिक सालाना कारोबार वाली कंपनियों से मुनाफे के 25 फीसदी के तौर पर यह वसूली जाती है. झारखंड को तीसरा सबसे अधिक हिस्सा 12 हजार 322 करोड़ सेंट्रल जीएसटी के मद में मिलेगी. इसी तरह सीमाशुल्क के तहत 1820 करोड़ और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तहत 383 करोड़ मिलेंगे.
बिहार को मिलेगा झारखंड के तिगुने से भी अधिक
झारखंड को मिलने वाले 41 हजार 245 करोड़ के तीन गुने से भी अधिक एक लाख 25 हजार 444 करोड़ 52 लाख की राशि बिहार को केंद्रीय करों में हिसेसदारी के रूप में मिलेगी. केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा तय फॉर्मूले के आधार पर होती है. संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित केंद्रीय वित्त आयोग विभिन्न मानकों के आधार पर यह फॉर्मूला तय करता है. अभी 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत राज्यों को राशि दी जा रही है. इसके तहत राज्यों को केंद्रीय करों में दी जाने वाली कुल हिस्सेदारी में से 3.30 फीसदी झारखंड के खाते में आती है. 16वें वित्त आयोग का भी गठन हो चुका है. इसकी रिपोर्ट आने के बाद उसी फॉर्मूले के तहत राज्यों के बीच केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तय की जाएगी.
केंद्रीय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं से भी मिलेगा धन
केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के अलावा केंद्र प्रायोजित परियोजनाओं के तहत भी झारखंड को बड़ी राशि मिलनी है. विभिन्न योजनाओं के तहत यह राशि 25 हजार करोड़ से अधिक हो सकती है.