- HelloCities24 स्पेशल
- Home
- Shravani Mela Live
- एजुकेशन
- ऑटो
- कोलकाता
- क्राइम
- खेल
- जनरल नॉलेज न्यूज
- जमशेदपुर
- झारखंड न्यूज (Jharkhand News)
- टेक्नोलॉजी
- धनबाद
- धर्म न्यूज (Religion News)
- नौकरी न्यूज
- पटना
- पश्चिम बंगाल
- पूर्णिया
- पॉलिटिक्स
- बड़ी खबर
- बिजनेस
- बिहार चुनाव
- बिहार न्यूज (Bihar News)
- बॉलीवुड
- बोकारो
- भागलपुर
- भोजपुरी सिनेमा
- मनोरंजन
- मुजफ्फरपुर
- मौसम
- रांची
- राज्य
- राशिफल
- राष्ट्रीय
- रिजल्ट
- लाइफ स्टाइल
- वर्ल्ड
- वीडियो (Video)

Smart City Traffic Signal: भागलपुर स्मार्ट सिटी परियोजना का सबसे बड़ा मज़ाक शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बन गई है. 6.42 करोड़ रुपये खर्च कर जिन 16 ट्रैफिक सिग्नलों को लगाया गया था, उनमें से 9 या तो कभी चालू ही नहीं हुए या सालों से बंद पड़े हैं. चालू बचे 7 सिग्नल भी कई जगह टकराव की वजह बनते हैं. करोड़ों की लागत से बना यह सिस्टम अब सिर्फ फाइलों में स्मार्ट और सड़कों पर नाकाम साबित हो रहा है.
6.42 करोड़ रुपये की योजना, 3.61 करोड़ की बर्बादी
भागलपुर के 16 चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नलों पर प्रति यूनिट करीब 40 लाख रुपये खर्च हुए. लेकिन इनमें से 9 सिग्नल सालों से बंद हैं, जिससे 3.61 करोड़ रुपये बेकार हो गए. स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने खुद आरटीआई के जवाब में इस फेलियर को स्वीकारा है. शहरवासियों के मुताबिक, कई चौराहे इतने तंग हैं कि वहां सिग्नल की जरूरत ही नहीं थी, फिर भी पैसे खत्म करने के लिए वहां भी सिस्टम खड़ा कर दिया गया.
जबर्दस्ती का स्मार्ट सिस्टम, जरूरत को किया नजरअंदाज
शहर के कई चौराहे जैसे डिक्सन मोड़, घंटा घर और शीतला स्थान चौक पर या तो सिग्नल कभी शुरू ही नहीं हुए या कुछ समय बाद बंद कर दिये गये. भीखनपुर गुमटी पर तो सिग्नल को दीवार में चुनवा दिया गया है. कई जगह पोल नाले या दुकान के पास है, कहीं फुटपाथ ही नहीं है. यानि न प्लानिंग थी, न विज़न. सिर्फ बजट खर्च कर योजना को ‘कागजी सफलता’ दी गई.
प्रशासन ने खुद सिग्नल कराये बंद
स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने यह भी स्वीकारा कि सिग्नल उन्होंने नहीं, बल्कि जिला प्रशासन के कहने पर बंद किये. यह साफ करता है कि सिस्टम को चालू रखने की मंशा शुरू से नहीं थी. सवाल उठता है कि जब सिग्नल की जरूरत ही नहीं थी, तो करोड़ों की योजना क्यों बनी? और अगर बनी तो उसे सक्रिय क्यों नहीं रखा गया?
अब तक कितने चालान कटे? आंकड़े गायब
शहर में लगे ट्रैफिक कैमरों से कितने चालान कटे, इसकी जानकारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड नहीं दे रहा. आरटीआई से मांगी गई इस सूचना को ट्रैफिक डीएसपी के पास भेज दिया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब यह आंकड़ा सामने आएगा तो पता चलेगा कि इस सिस्टम का असली मकसद ट्रैफिक कंट्रोल नहीं, केवल चालान वसूली था.
Also Read-आतंकी हमले में मददगार निकले दो स्थानीय, NIA ने दबोचा