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Ranchi News: इंजीनियरिंग की दुनिया अब सिर्फ परंपरागत तकनीकों तक सीमित नहीं रह गई है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और आधुनिक उपकरणों ने इंजीनियरिंग के कामकाज को पूरी तरह नया रूप दे दिया है. पहले पुल, भवन या मशीनें बनाने में महीनों की मेहनत और कई स्तरों की जांच जरूरी होती थी. आज AI और डिजिटल टूल्स डिजाइनिंग को तेज, आसान और अधिक सटीक बना रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि AI के जरिए नए डिज़ाइन और संरचनाओं की कल्पना करना और उन्हें वास्तविकता में बदलना पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल हो गया है.
सिविल इंजीनियरिंग में स्मार्ट मैपिंग और 3D मॉडलिंग बेहतर और मजबूत ढांचे तैयार कर रही हैं. वहीं, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ऑटोमेशन और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स उत्पादन प्रक्रिया को और अधिक कुशल बना रहे हैं.
बदलाव के साथ नई चुनौतियां
इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी बदलावों के साथ नई चुनौतियां भी उभर रही हैं. अब युवाओं को केवल पारंपरिक ज्ञान पर निर्भर नहीं रहना चाहिए; उन्हें डिजिटल टूल्स और आधुनिक तकनीक सीखनी होगी. समय के साथ शिक्षा और प्रशिक्षण के तरीके भी बदल रहे हैं. इन बदलावों से इंजीनियरों का कौशल क्षेत्र व्यापक होगा और बहु-विषयक ज्ञान की जरूरत बढ़ेगी.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में नए बदलाव
रांची के नीतिश स्वरूप, जो 2005 से मैकेनिकल इंजीनियर हैं और वर्तमान में सहायक महाप्रबंधक हैं, बताते हैं कि उद्योग और समाज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है. हालांकि, पिछले दशक में इसमें काफी बदलाव आया है.
डिजाइन और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में अंतर
पहले: मैन्युअल ड्रॉइंग और स्केल का उपयोग होता था. डिज़ाइन में बदलाव करना समय-साध्य होता था.
अब: CAD/CAM, 3D मॉडलिंग और सिमुलेशन सॉफ्टवेयर डिज़ाइन प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बना रहे हैं. प्रोटोटाइप बनाने से पहले प्रदर्शन और संभावित समस्याओं का मूल्यांकन संभव है.
मैन्युफैक्चरिंग में तकनीकी बदलाव
पहले: भारी मशीनों और मैन्युअल ऑपरेशन पर अधिक निर्भरता थी. गुणवत्ता अक्सर ऑपरेटर के अनुभव पर निर्भर होती थी.
अब: CNC मशीनिंग, रोबोटिक्स और AI आधारित गुणवत्ता जांच से निर्माण प्रक्रिया अधिक ऑटोमेटेड और सटीक हो गई है.
प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और एनालिटिक्स में परिवर्तन
पहले: प्रोजेक्ट की प्रगति जानने के लिए कागजी रिपोर्ट और मीटिंग्स पर निर्भर रहना पड़ता था.
अब: AI आधारित प्रोजेक्ट टूल्स, IoT डैशबोर्ड और डेटा एनालिटिक्स से रियल-टाइम निर्णय लेना सरल और तेज़ हो गया है.
रखरखाव में सुधार
पहले: मशीन खराब होने पर ही मरम्मत होती थी.
अब: प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस और डिजिटल ट्विन तकनीक संभावित खराबियों का पहले पता लगा कर समय रहते सुधार करती है.
विदेश में इंजीनियरों का दृष्टिकोण
सुधीर सिन्हा, जो पिछले 17 वर्षों से स्टैनफोर्ड में हैं, बताते हैं कि AI ने चिकित्सा और रोगी देखभाल में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं. नयी तकनीक अपनाकर ही बेहतर प्रबंधन और जिम्मेदारी निभाई जा सकती है.
स्वाति श्रीवास्तव, जो जर्मनी में SAP कंपनी में 10 वर्षों से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, कहती हैं कि AI ने आईटी सेक्टर में मैनुअल काम को अधिक बौद्धिक और रणनीतिक रूप दिया है. AI खतरा नहीं, बल्कि अवसर है. जो पेशेवर इसे अपनाएंगे, वे अपनी नौकरियों को सुरक्षित रखने के साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहेंगे.
इंजीनियरिंग का दायरा बढ़ा
शालिनी सिंह, अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, बताती हैं कि AI कार्यों को तेज, सुरक्षित और किफायती बनाता है, लेकिन लगातार कौशल अपडेट करना आवश्यक है. भविष्य में वही इंजीनियर सफल होंगे जो परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक में संतुलन बनाएंगे.
मानव मस्तिष्क की अहमियत
प्रियंका शर्मा, रांची एयरपोर्ट में सहायक महाप्रबंधक, कहती हैं कि AI कार्यप्रणाली बदल देता है और कई काम मिनटों में पूरा कर देता है, लेकिन मानव मस्तिष्क का कोई विकल्प नहीं. सिविल इंजीनियरिंग में अनुभव और सोच की भूमिका हमेशा अहम रहेगी.
AI से सिविल इंजीनियरिंग को फायदा
सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता प्रवीण कुमार कहते हैं कि AI ने सिविल इंजीनियरिंग में बड़े बदलाव किए हैं. बड़े प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग और डेटा प्रबंधन अब AI से आसान हो गया है.
संचार के क्षेत्र में बदलाव
BSNL रांची के टेलीकॉम ऑफिसर राजेश रंजन बताते हैं कि पहले वायर वाले फोन थे, फिर मोबाइल आए और अब सेटेलाइट फोन की तकनीक आ रही है, जिसमें टावर की आवश्यकता नहीं होगी. टीवी टावर से सेटेलाइट चैनल और OTT तक इंटरनेट ने संचार की दुनिया बदल दी है.
डिजाइन शिक्षा में नया दौर
IIT धनबाद के डीन प्रो. मृत्युंजय कुमार सिंह कहते हैं कि AI और नई तकनीकों ने डिजाइन शिक्षा को बदल दिया है. पहले डिजाइन ड्रॉइंग शीट पर बनते थे, अब CAD/CAM लैब और 3D प्रिंटर से छात्र तुरंत संरचना और फीचर्स देख सकते हैं.
मानव रचनात्मकता और टीमवर्क का महत्व
NIAMT की असिस्टेंट प्रोफेसर शालिनी महतो का कहना है कि AI रिप्लेसमेंट नहीं, बल्कि सशक्तिकरण का उपकरण है. यह मानव की रचनात्मकता और टीमवर्क को और मजबूत बनाता है और शिक्षा क्षेत्र में सीखने की बाधाएं कम करता है.
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