Ranchi News: तकनीकी प्रगति ने शिक्षा के परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है. जहां पहले शिक्षक और छात्र ब्लैकबोर्ड और चॉक तक सीमित थे, वहीं अब स्मार्ट बोर्ड और डिजिटल प्लेटफॉर्म पढ़ाई को और अधिक रोचक और इंटरैक्टिव बना रहे हैं. यह बदलाव केवल तकनीकी नहीं है, बल्कि शिक्षण और सीखने के तरीकों में भी बड़ा परिवर्तन लेकर आया है. शिक्षकों को अब खुद भी नई तकनीक सीखनी पड़ रही है और डिजिटल माध्यम से छात्रों को जोड़ना पड़ रहा है.
कोविड काल ने शिक्षा में मोड़ लाया
कोविड-19 महामारी ने शिक्षा व्यवस्था को चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया. स्कूल और कॉलेज बंद हो गए और पढ़ाई पूरी तरह ऑनलाइन होने लगी. न छात्र तैयार थे और न शिक्षक, लेकिन शिक्षकों ने तुरंत परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को अपडेट किया. मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट नए क्लासरूम बने. गूगल मीट, जूम और अन्य प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल क्लास शुरू हुई. जो शिक्षक पहले कंप्यूटर से परिचित नहीं थे, उन्होंने स्क्रीन शेयर, ऑनलाइन लेक्चर और डिजिटल नोट्स के जरिए पढ़ाई जारी रखी.
शिक्षक डिजिटल कंटेंट तैयार कर रहे हैं
ब्लैकबोर्ड और डस्टर की जगह स्मार्ट बोर्ड और डिजिटल पेन ने ले ली है. प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग और एक्टिविटी-ड्रिवन क्लास बच्चों की भागीदारी बढ़ा रहे हैं. ऑनलाइन असाइनमेंट और क्विज़ का चलन बढ़ा है. शिक्षक अब सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल कंटेंट तैयार करने और बच्चों को समझाने वाले मल्टी-टास्किंग गाइड बन चुके हैं.
नई पीढ़ी और नई चुनौतियां
आज के छात्र पहले की तुलना में अलग हैं. पहले जानकारी सीमित थी, अब इंटरनेट ने असीमित ज्ञान उपलब्ध कर दिया है. शिक्षकों को बच्चों को केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि उन्हें सही जानकारी देना और गलत जानकारी को अलग करना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. योग्यता आधारित परीक्षा और इंटरनेट की असीमित जानकारी के बीच, शिक्षकों को लगातार खुद को अपडेट रखना पड़ता है.
नवीन तकनीक सीखना चुनौतीपूर्ण लेकिन जरूरी
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बरियातू के प्रिंसिपल दीपक कुमार ने बताया कि कोविड के बाद शिक्षकों को डिजिटल माध्यम सीखना पड़ा. ई-कंटेंट, यूट्यूब वीडियो और ऑनलाइन क्लास तैयार करने का काम चुनौतीपूर्ण था. लेकिन शिक्षकों ने एक-दूसरे की मदद से डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाया. अब पुराने शिक्षक भी वेबसाइट हैंडल कर लेते हैं, गूगल शीट बनाते हैं और डिजिटल बोर्ड पर क्लास लेते हैं.
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चॉक, वॉक और टॉक अभी भी जरूरी
केरली स्कूल के प्रिंसिपल राजेश पिल्लई के अनुसार क्लासरूम टीचिंग के लिए चॉक, वॉक और टॉक महत्वपूर्ण हैं. चॉक की जगह डिजिटल पेन ने ले ली है, लेकिन वॉक और टॉक अभी भी उतना ही जरूरी है. ऑडियो-वीडियो और थ्रीडी एनीमेशन के माध्यम से पढ़ाई और भी प्रभावशाली हो गई है.
सीखकर दूसरों को सिखाना भी हुआ जरूरी
डॉ. श्वेता सिंह, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बरियातू की शिक्षिका, बताती हैं कि कोविड के बाद शिक्षक खुद सीखकर दूसरों को भी सिखाने लगे. वीडियो बनाना, ऑनलाइन क्लास लेना और डिजिटल प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करना अब रोजमर्रा का हिस्सा बन गया है. शिक्षकों के लिए हर दिन अपडेट होना अब अनिवार्य हो गया है.
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