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    भागलपुर का बेबस स्टेशन; 450 करोड़ का प्रोजेक्ट फाइलों में कैद, यात्रियों को नहीं मिल रहीं सुविधाएं

    भागलपुर: 450 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट होने के बावजूद, भागलपुर रेलवे स्टेशन पिछले सात सालों से विकास की राह देख रहा है. यह स्टेशन, जो मालदा रेल डिवीजन के लिए सबसे ज्यादा कमाई का जरिया है, आज भी यात्रियों को बुनियादी आधुनिक सुविधाओं के लिए तरसा रहा है. अधिकारियों के ढुलमुल रवैये और कागजी कार्रवाई के मकड़जाल में उलझी यह योजना अब तक टेंडर के पेच से बाहर नहीं निकल पाई है, जिससे स्टेशन का हाल किसी पुराने हवाई अड्डे जैसा हो गया है जहां सिर्फ इंतजार है, काम नहीं. इन सात वर्षों में मालदा रेलवे डिवीजन के दो डीआरएम (डिविजनल रेलवे मैनेजर) बदल चुके हैं और तीसरे ने भी एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन भागलपुर स्टेशन पर विकास की नींव तक नहीं रखी जा सकी है.

    जितने दिनों से कागजी प्रक्रिया, उतने में बन जाता मॉडल स्टेशन

    भागलपुर को मॉडल स्टेशन बनाने की योजना पर जितने दिनों से कागजी कार्रवाई चल रही है, उतने समय में यह स्टेशन पूरी तरह विकसित होकर यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया करा रहा होता. मालदा रेलवे डिवीजन की उपेक्षा का शिकार यह स्टेशन यात्रियों को आधुनिक सुविधाओं से समझौता करने पर मजबूर कर रहा है, जबकि यह मालदा डिवीजन को सबसे अधिक कमाई देने वाला और ‘ए-1’ ग्रेड प्राप्त स्टेशन है.

    योजना टेंडर के पेच से बाहर नहीं निकल पाई

    एयरपोर्ट के तर्ज पर विकसित करने की यह महत्वाकांक्षी योजना अभी तक टेंडर के पेच से बाहर नहीं निकल पाई है. रेलवे की यह धीमी गति और ढुलमुल रवैया साफ दर्शाता है कि यात्रियों की सुविधा और स्टेशन के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. यह योजना रेल भूमि विकास लिमिटेड (आरएलडीए), कंसल्टेंट एजेंसी, मालदा रेलवे डिवीजन और ईस्टर्न रेलवे के दफ्तरों में ही घूम रही है.

    भागलपुर स्टेशन से ध्यान भटका, छोटे स्टेशनों पर फोकस

    सबसे पहले गति शक्ति योजना आई, जिसके तहत भागलपुर स्टेशन को तोड़कर नया बनाने की योजना बनी, लेकिन मालदा रेलवे डिवीजन का इस पर फोकस नहीं रहा. अभी उनका ध्यान सिर्फ अमृत भारत योजना के तहत छोटे-छोटे स्टेशनों के आधुनिकीकरण पर है, हालांकि उनमें से कोई भी अब तक पूरा नहीं हो सका है.

    काम होता तो अब तक दिखती 8 मंजिल की बिल्डिंग

    अगर कागजी प्रक्रियाएं समय से पूरी कर ली गई होतीं और ठेका एजेंसी बहाल हो जाती, तो अब तक भागलपुर स्टेशन की बिल्डिंग आठ मंजिल की दिखने लगती. यह 450 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट फिलहाल फाइलों में ही दबा है.

    इन सुविधाओं से यात्री वंचित

    • बहुमंजिला भवन
    • लिफ्ट और एस्केलेटर की बढ़ी हुई संख्या
    • चौड़े प्लेटफॉर्म और फुटओवरब्रिज
    • आधुनिक वेटिंग हॉल व डॉरमेट्री
    • नए स्टेशन में यात्रियों के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास रास्ते
    • कॉनकोर्स एरिया में मॉल जैसा लुक और हर तरह का आराम.

    भागलपुर जंक्शन का रि-डेवलपमेंट अब पूर्व रेलवे करेगा

    भागलपुर जंक्शन का रि-डेवलपमेंट और न्यू भागलपुर स्टेशन का निर्माण अब पूर्व रेलवे कराएगा. पहले यह काम रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) को कराना था, लेकिन रेलवे बोर्ड ने ये दोनों ही कार्यक्रम आरएलडीए से पूर्व रेलवे जोन को हस्तांतरित कर दिए हैं. स्टेशनों की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में भी कुछ बदलाव की तैयारी है.

    “भागलपुर रेलवे स्टेशन का रि-डेवलपमेंट होना है. इसकी तैयारी चल रही है. डीपीआर बन रहा है. जल्द ही इस पर काम होगा. अभी अमृत भारत योजना के तहत चयनित 15 स्टेशनों पर विकास का कार्य चल रहा है. पीरपैंती स्टेशन का पहले फेज का काम पूरा हो गया है. बाकी के स्टेशनों पर भी तेजी से काम हो रहा है.” – रूपा मंडल, पीआरओ, मालदा रेल डिवीजन

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