Jharkhand High Court : झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव नहीं कराने को लेकर राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने साफ तौर पर कहा कि सरकार अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रही और जानबूझकर चुनाव को टालने की कोशिश कर रही है. कोर्ट ने मुख्य सचिव अलका तिवारी को अवमानना मामले में 25 अगस्त को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है. साथ ही यह भी कहा गया कि क्यों न उनके खिलाफ आरोप तय किया जाए. कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि अगर राज्य का यही रवैया रहा तो कानून का राज कभी स्थापित नहीं हो पाएगा.
लोकतंत्र को कमजोर कर रही है राज्य सरकार: हाईकोर्ट
जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा कि नगर निकाय चुनाव टालना जनता की आवाज दबाने जैसा है. प्रशासक के माध्यम से लंबे समय तक शहरी निकाय चलाना संविधान के खिलाफ है. चुनाव न कराना सीधा लोकतंत्र पर हमला है. कोर्ट ने यह भी माना कि राज्य सरकार जानबूझकर आदेशों की अवहेलना कर रही है, जिससे कानून का शासन खतरे में पड़ गया है.
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चार जनवरी के आदेश की नहीं हुई पालन, अधिवक्ता का दावा
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने कहा कि कोर्ट के 4 जनवरी 2024 के आदेश का अब तक पालन नहीं हुआ है. राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद 25 मार्च 2025 से खाली पड़ा है, जिससे चुनाव प्रक्रिया रुकी हुई है. सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
2020 से अटके हैं निकाय चुनाव, जनता को नहीं मिल रहा प्रतिनिधित्व
याचिका रोशनी खलखो व अन्य ने दायर की है, जिसमें निकाय चुनाव तत्काल कराने की मांग की गई है. राज्य में वर्ष 2020 से 12 शहरी निकायों में चुनाव नहीं हुए हैं और कई नगर निगम प्रशासक चला रहे हैं. 27 अप्रैल 2023 के बाद राज्य में किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं कराये गए हैं, जिससे स्थानीय लोकतंत्र पूरी तरह ठप हो गया है.
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