Bhagalpur News: भागलपुर जिले में बालू घाटों की बंदोबस्ती अब भी अधर में लटकी है, जबकि राज्य के अन्य जिलों में यह प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है. जिले की कुल 9 नदियों में से केवल 2 घाटों पर ही खनन चालू है. बाकी घाट या तो सिया की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं या फिर फाइलों की धूल में दबे हैं. नतीजा यह है कि जिले में बालू की कीमत आसमान छू रही है और आम लोग महंगे दाम पर बालू खरीदने को मजबूर हैं.
चार साल से लटका है मामला, सिर्फ दो घाट चालू
भागलपुर जिले में चानन, गेरुआ, अंधरी और कोसी सहित कुल 9 चिन्हित बालू घाट हैं. इनमें से फिलहाल गेरुआ और चानन घाट पर ही बालू खनन हो रहा है. शेष 7 घाटों में से एक को पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली, एक का मामला प्रक्रियाधीन है, जबकि पांच घाटों की बंदोबस्ती अभी तक शुरू ही नहीं हो पाई है.
यह स्थिति तब है जब अन्य जिलों में खनन विभाग की प्रक्रिया न केवल पूरी हो चुकी है, बल्कि कई जगहों पर टेंडर भी अंतिम चरण में पहुंच चुका है. लेकिन भागलपुर की फाइलें अब भी मुख्यालय में पड़ी-पड़ी धूल फांक रही हैं.
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बारिश में खनन पर रोक, मांग पर असर
सरकार ने हर साल की तरह इस बार भी मानसून अवधि यानी 30 सितंबर तक बालू खनन पर रोक लगा दी है. इस अवधि में पर्यावरणीय संतुलन को देखते हुए किसी भी घाट से बालू नहीं निकाला जा सकता है. लेकिन जिन घाटों की बंदोबस्ती पूरी हो चुकी है, वहां भी फिलहाल बालू उठाव नहीं हो पा रहा है.
बालू के दाम हुए दोगुने, लोग परेशान
बंदोबस्ती प्रक्रिया के ठप होने और खनन पर प्रतिबंध के कारण बालू की कीमत आसमान छूने लगी है. पहले जहां एक ट्रेलर बालू 4 से 4.5 हजार रुपये में मिल जाता था, वहीं अब वह 6 से 6.5 हजार रुपये में बिक रहा है. इससे मकान बनाने वाले आम लोगों की जेब पर भारी असर पड़ा है.
नीति की उलझन और जमा राशि बनी बाधा
पूर्व में बंदोबस्ती के लिए सुरक्षित जमा राशि 25 करोड़ रुपये तक रखी गई थी, जिसे अब कम करने की बात हो रही है. लेकिन नीति की अस्पष्टता और पर्यावरणीय स्वीकृति की धीमी प्रक्रिया के कारण अभी भी सब कुछ रुका हुआ है.
आंकड़ों में समझें भागलपुर की स्थिति
- जिले की चिन्हित नदियां: चानन, गेरुआ, अंधरी, कोसी समेत कुल 9
- संचालित बालू घाट: 2
- प्रक्रियाधीन घाट: 1
- रिजेक्टेड (ईसी अस्वीकृत): 1
- बिना बंदोबस्ती के घाट: 5
अधिकारिक बयान
“सिया से मंजूरी मिलते ही बंदोबस्ती की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी. दूसरे जिलों को मंजूरी मिल रही है, तो भागलपुर के लिए भी मिलेगी.”
— महेश्वर पासवान, जिला खनिज विकास पदाधिकारी, भागलपुर
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