India Pakistan Tension: भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है. पाकिस्तान न सिर्फ पानी की एक-एक बूंद को तरसने की आशंका में है, बल्कि अब उसे चीन का भी सहारा लेना पड़ रहा है. चीन इस मौके को भुनाने की तैयारी में है और सिंधु बेसिन पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत पाकिस्तान के साथ मिलकर बड़ा जल प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ा रहा है.
सिंधु जल संधि पर भारत का बड़ा फैसला
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी थी. ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत आतंकी ठिकानों पर एक्शन के साथ भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐलान किया. यह संधि भारत-पाकिस्तान के बीच तीन प्रमुख नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब – के जल बंटवारे को लेकर थी. पाकिस्तान की 65% आबादी इसी बेसिन पर निर्भर है, ऐसे में भारत का यह कदम सीधे उसकी रगों में पानी की सप्लाई रोक सकता है.
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चीन ने बढ़ाया दखल, बढ़ सकता है जल संकट
इस घटनाक्रम के बाद चीन ने मोहमंद डैम प्रोजेक्ट पर तेज़ी लाने की घोषणा की है, जो सिंधु की सहायक नदी पर बन रहा है. कन्वरसेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन सिंधु जल विवाद में हस्तक्षेप कर भारत को रणनीतिक रूप से घेरना चाहता है. चीनी मीडिया ने भारत को ‘आक्रामक’ बताकर पानी को हथियार बनाने की आशंका जताई है.
कूटनीति के मैदान में पानी बना हथियार
विशेषज्ञ मानते हैं कि सिंधु जल संधि वर्षों तक पाकिस्तान के हित में रही है, जबकि भारत महज 14% बेसिन एरिया होने के बावजूद जल उपयोग में पीछे रहा. अब भारत के तेवर और चीन की चालबाजी ने इस संधि को सिर्फ जल विवाद नहीं, बल्कि रणनीतिक मोर्चे का रूप दे दिया है.
पाकिस्तान की मदद को आगे आया चीन
चीन अब खुद को सिंधु जल संधि का एक अहम पक्षकार मानने लगा है. चीनी मीडिया ने इस मुद्दे पर भारत को आक्रामक बताते हुए चेतावनी दी है कि अगर भारत ‘पानी को हथियार’ की तरह इस्तेमाल करता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. रिपोर्ट्स में यह भी उल्लेख किया गया है कि सिंधु नदी का स्रोत चीन के पश्चिमी तिब्बत क्षेत्र में है, जो इस विवाद को और संवेदनशील बनाता है. इसी के साथ चीन ने यह भी ऐलान किया है कि वह पाकिस्तान में सिंधु की सहायक नदी पर मोहमंद हाइड्रो प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में तेजी लाएगा. यह कदम भारत के लिए एक कूटनीतिक संदेश भी माना जा रहा है.
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