Bhagalpur News: बिहार सरकार द्वारा सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के तमाम प्रयासों के बावजूद, कुछ विक्रेताओं की लापरवाही उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन रही है. ताजा मामला भागलपुर के सिकंदरपुर मोहल्ले से सामने आया है, जहां एक उपभोक्ता को सौर ऊर्जा प्रणाली लगवाने के बाद न केवल बिजली उत्पादन ठप होने की समस्या झेलनी पड़ रही है, बल्कि बिजली विभाग से भारी-भरकम बिल भी प्राप्त हुआ है.
डॉ. शेखर गुप्ता ने लगभग ढाई वर्ष पूर्व बिजली विभाग के माध्यम से एक विक्रेता से अपने घर की छत पर 4 किलोवाट का सौर ऊर्जा सिस्टम लगवाया था. कुछ समय तक तो सिस्टम ने सामान्य रूप से कार्य किया, लेकिन अचानक यह बंद हो गया. हैरानी की बात यह है कि सिस्टम के बंद होने के बावजूद, बिजली विभाग ने उन्हें 21 महीने का ₹37,000 से अधिक का एकमुश्त बिल भेज दिया है.
इतनी बड़ी राशि का बिल देखकर परेशान डॉ. गुप्ता ने बिजली विभाग और विक्रेता दोनों से संपर्क साधा. लगातार प्रयासों के बावजूद, न तो विक्रेता बंद पड़े सौर ऊर्जा सिस्टम को ठीक करने के लिए आगे आया और न ही बिजली विभाग इस समस्या का कोई समाधान निकाल पाया है. निराश डॉ. गुप्ता ने समय पर बिल तो जमा कर दिया है, लेकिन अपने घर की छत पर बेकार पड़े सौर ऊर्जा सिस्टम को देखने के सिवा उनके पास कोई और चारा नहीं है.
डॉ. शेखर गुप्ता का कहना है कि उन्होंने सोलर एजेंसी से कई बार संपर्क किया, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया. एजेंसी के प्रतिनिधियों ने जल्द आकर देखने की बात कहकर समय बिता दिया. उन्होंने बताया कि अनुबंध के अनुसार, एजेंसी को पांच वर्षों तक सौर ऊर्जा सिस्टम की देखरेख करनी है, लेकिन सिस्टम लगाने के बाद वे एक बार भी इसकी मरम्मत या रखरखाव के लिए नहीं आए हैं. डॉ. गुप्ता ने इस मामले की जानकारी कार्यपालक अभियंता को भी दी है और उनसे समाधान की मांग की है, जिस पर उन्हें आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन मिला है.
वहीं, इस संबंध में सहायक अभियंता जितेंद्र कुमार ने बताया कि सौर ऊर्जा सिस्टम का अनुबंध उपभोक्ता और विक्रेता के बीच उनकी निजी पहल पर होता है. बिजली विभाग केवल नेट मीटर का अनुबंध करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि बिजली उत्पादन से खपत अधिक होगी, तो बिल आएगा और उपभोक्ता को उसका भुगतान करना होगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस विशेष मामले की जांच की जाएगी और बिजली बिल का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा.