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Friday, August 8, 2025
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झारखंड में आफत बनी बारिश! तीन महीने में ठनका, डूबने और सर्पदंश से 431 मौतें

Jharkhand News : झारखंड में मानसून के दौरान कुदरत का कहर जानलेवा बन गया है. पिछले तीन महीने में आकाशीय बिजली, डूबने और सर्पदंश से 431 लोगों की मौत हो चुकी है.

Jharkhand News : झारखंड में लगातार सक्रिय मानसून ने कहर ढाया है. बीते तीन महीनों में बिजली गिरने, डूबने और सांप के काटने जैसी घटनाओं में 400 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारी बारिश ने फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है.

राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 1 मई से 31 जुलाई के बीच झारखंड में कुल 431 लोगों की मौत विभिन्न आपदाओं के कारण हुई है. इनमें सबसे ज्यादा मौतें वज्रपात (बिजली गिरने) से हुई हैं. लगातार हो रही बारिश और तेज़ गर्जना के साथ बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है.

बारिश से बिगड़े हालात, 3 महीने में 180 की मौत बिजली गिरने से

आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि मई से जुलाई के बीच बिजली गिरने की घटनाओं में 180 लोगों की मौत हुई है, जबकि 161 लोग डूबकर अपनी जान गंवा चुके हैं. सर्पदंश यानी सांप काटने से 80 लोगों की जान गई. इसके अलावा भारी बारिश के कारण 9 लोगों की मौत हुई और एक व्यक्ति की मौत बाढ़ की चपेट में आने से हुई है.

सामान्य से 43% अधिक बारिश, फसलों को भी भारी नुकसान

राज्य में 17 जून से लगातार भारी बारिश हो रही है. मानसून के सीजन में अब तक झारखंड में 830 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य औसत 581.9 मिमी होता है. यानी इस बार 43 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. इस ज्यादा बारिश ने न सिर्फ जन-जीवन को प्रभावित किया, बल्कि खेतों में खड़ी फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है.

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हर दिन कहीं न कहीं हो रही बारिश, अलर्ट पर हैं प्रशासनिक टीमें

मानसून के दौरान झारखंड के विभिन्न जिलों में हर दिन कहीं न कहीं बारिश हो रही है. वज्रपात की आशंका को देखते हुए प्रशासन की ओर से लोगों को सतर्क रहने की अपील की जा रही है. साथ ही राहत और बचाव दलों को भी तैयार रखा गया है.

जानमाल का नुकसान रोकने को सतर्कता जरूरी

सरकार ने वज्रपात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए लोगों से सतर्क रहने को कहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, खुले स्थानों पर मोबाइल का प्रयोग, पेड़ के नीचे खड़ा होना या जल स्रोतों के नजदीक रहना जानलेवा हो सकता है. ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है.

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