Kathmandu Curfew : नेपाल की राजधानी काठमांडू सोमवार को अभूतपूर्व तनाव का केंद्र बन गई. सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन करने के फैसले के खिलाफ युवाओं का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा. हजारों प्रदर्शनकारियों ने न्यू बानेश्वर इलाके में रैली की, जो धीरे-धीरे हिंसक रूप ले बैठी. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव इतना बढ़ गया कि प्रशासन को धारा 144 लागू कर कर्फ्यू की घोषणा करनी पड़ी. इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल होकर अस्पताल पहुंचे.
कैसे बिगड़े हालात
सुबह से ही राजधानी के अलग-अलग हिस्सों से युवा समूहों में नारेबाजी करते हुए न्यू बानेश्वर की ओर बढ़ रहे थे. भीड़ ने सरकार पर भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का आरोप लगाया. जब पुलिस ने उन्हें संसद क्षेत्र की ओर जाने से रोकने की कोशिश की तो उन्होंने बैरिकेड्स तोड़ दिए. इसी बीच सुरक्षा बलों ने पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले छोड़े. लेकिन प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं थे. उन्होंने पत्थर, बोतल और टहनियों से जवाबी हमला शुरू कर दिया. कुछ लोग संसद भवन के पास तक घुस गए, जिसके बाद स्थिति पूरी तरह बेकाबू हो गई.
गोली लगने से युवक की मौत
मुठभेड़ के दौरान एक युवक गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया. अस्पताल ले जाने के बाद उसकी मौत हो गई. अभी तक उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं हो सकी है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गोलीबारी से पहले पुलिस ने भीड़ को चेतावनी दी थी, लेकिन प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते रहे. इस बीच कई अन्य लोग भी घायल हुए, जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
प्रशासन ने लगाया कर्फ्यू
हालात काबू से बाहर होते देख काठमांडू जिला प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया. मुख्य जिला अधिकारी छबिलाल रिजाल ने स्थानीय प्रशासन अधिनियम की धारा 6 के तहत आदेश जारी किया. यह आदेश सोमवार दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक लागू रहेगा. अधिकारियों के मुताबिक, प्रतिबंधित क्षेत्रों में किसी भी तरह की सभा, मार्च, धरना या आवाजाही पर रोक होगी.
किन इलाकों को बनाया गया कर्फ्यू जोन
कर्फ्यू आदेश न्यू बानेश्वर चौक और उसके आसपास के बड़े हिस्से को कवर करता है. इसमें पश्चिम की ओर एवरेस्ट होटल और बिजुलीबाजार आर्च ब्रिज तक, पूर्व की तरफ मिन भवन और शांतिनगर होते हुए टिंकुने चौक तक, उत्तर में आईप्लेक्स मॉल से रत्न राज्य सेकेंडरी स्कूल तक और दक्षिण दिशा में शंखमूल से शंखमूल ब्रिज तक का इलाका शामिल है. इन क्षेत्रों में प्रशासनिक आदेश का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं.
किस फैसले से नाराजगी
दरअसल, बीते गुरुवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने ऐलान किया था कि जो सोशल मीडिया कंपनियां नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं करातीं, उनके प्लेटफॉर्म तुरंत बंद कर दिए जाएंगे. इस आदेश का सीधा असर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, यूट्यूब और स्नैपचैट जैसे लोकप्रिय ऐप्स पर पड़ा है. सरकार ने गुरुवार आधी रात से ही इस फैसले को लागू कर दिया, जिससे लाखों यूजर्स प्रभावित हो गए.
कौन-कौन से प्लेटफॉर्म चालू और बंद
सरकार का कहना है कि टिकटॉक, वाइबर, विटक, निंबज और पोपो लाइव पहले ही पंजीकरण करा चुके हैं, इसलिए वे चालू रहेंगे. वहीं टेलीग्राम और ग्लोबल डायरी ने आवेदन किया है, जिनकी प्रक्रिया जारी है. लेकिन बाकी सभी बड़े प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगा दी गई है. विदेश में रहने वाले नेपाली नागरिकों पर भी इसका असर पड़ा है क्योंकि वे रोजमर्रा की बातचीत और कामकाज के लिए इन्हीं ऐप्स पर निर्भर रहते हैं।
सरकार का पक्ष
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. इसके बाद मंत्रालय ने नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण को निर्देश दिया कि सभी अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को तुरंत बंद किया जाए. मंत्रालय के प्रवक्ता गजेंद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि जैसे ही कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन कराएगी, उसी दिन उसे फिर से चालू कर दिया जाएगा. उनका तर्क है कि यह कदम डिजिटल पारदर्शिता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
पत्रकार संगठनों ने किया विरोध
नेपाल पत्रकार महासंघ (FNJ) ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. महासचिव राम प्रसाद दहाल का कहना है कि सरकार का यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता और लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. उनका आरोप है कि सरकार बिना विकल्प दिए अभिव्यक्ति की आजादी को दबा रही है.
नेपाल में सोशल मीडिया पर सख्ती का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया हो. नवंबर 2023 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल की सरकार ने टिकटॉक पर रोक लगा दी थी. हालांकि अगस्त 2024 में कंपनी ने नेपाल में रजिस्ट्रेशन कर लिया, जिसके बाद बैन हटा दिया गया. मौजूदा विवाद उसी नीति का विस्तार माना जा रहा है.
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