Bihar Agricultural University Bihar के Bhagalpur में बिहार कृषि विश्वविद्यालय किसानों की आर्थिक स्थिति बढ़ाने को लेकर काम करता रहा है. यह सबौर में है. संस्थान ने नवाचारों को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है. विश्वविद्यालय नये स्टार्टअप का मार्गदर्शन कर उन्हें एक उद्योग के रूप में स्थापित होने में सहायता प्रदान करेगा. विद्यार्थियों के लिए इससे जुड़ी स्कीम भी लांच की गई है.
1. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर बना प्रामिनेंट एग्रीकल्चर इनक्यूबेशन सेंटर |
2. दिन-रात तराशे जा रहे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के स्टार्टअप |
3. केंद्र व राज्य दोनों के सहयोग से चलता है सेंटर, चार राज्यों के स्टार्टअप का बन रहा हब |
4. रोटी, कपड़ा, मकान, ऊर्जा और पशु चारा के विजन पर काम कर रहा इनक्यूबेशन सेंटर |
5. 97 स्टार्टअप में 51 को मिला 6.3 करोड़ का अनुदान, 15 हजार से ज्यादा किसान लाभान्वित |
Sabaur कृषि विश्वविद्यालय किसानों के लिए सबल बना रहा है. नवाचारों के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं. उद्यम-उपक्रम के लिए वरदान बनते हुए यह अब चार राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के स्टार्टअप को तराश कर उन्हें छोटे-बड़े उद्योग का रूप देगा. केंद्र सरकार ने बीएयू में कार्य कर रहे सब एग्रीस को पूर्वी जोन का प्रामिनेंट एग्रीकल्चर इनक्यूबेशन सेंटर बनाने की स्वीकृति दी है.
आने वाले समय में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर इसकी खास पहचान होगी. उद्यम सोच के विद्यार्थियों के लिए एक नयी स्कीम लांच की है. इसके तहत जिन छात्र-छात्राओं में स्टार्टअप की सोच उभरी है, उनके स्टार्टअप को इनक्यूबेट कर चार लाख का शुरुआती अनुदान दिया जायेगा. इससे पहले यहां ट्रेंड नवाचारों को 5 से 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद देकर नए-नए उद्यम स्थापित किए जा रहे हैं.
पीआरओ डा. राजेश कुमार के अनुसार Interestfreeloan से 4 अक्टूबर 2023 को बीएयू का एक एमओयू हुआ है. जिसमें बिहार में रहने वालों के लिए एग्रीकल्चर के अतिरिक्त विभिन्न कार्य क्षेत्र में स्टार्टअप को ट्रेंड किया जाएगा. बिहार सरकार द्वारा प्रत्येक स्टार्टअप को 10 लाख रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाता है. इसके लिए 3.4 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है.
केंद्र की योजना के तहत यहां अब चार राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के ऐसे व्यक्ति या संगठन जिनके पास नवाचार का गुणवत्तापूर्ण स्टार्टअप हो उनका चयन किया जायेगा. इसके बाद बेहतर प्रशिक्षण देकर उनमें उद्यमी बनने का सर्वांगीण गुण विकसित किया जाएगा. साथ ही उनके स्टार्टअप में विशेषज्ञों की राय को समाहित कर छोटे-बड़े उद्योग का रूप दिया जायेगा.
यहां के केंद्र में अलग-अलग कार्य क्षेत्र में अब तक 97 स्टार्टअप इनक्यूबेट (ट्रेंड) किए गये हैं. इनमें 51 स्टार्टअप को आर्थिक सहयोग के तौर पर 6.3 करोड़ का अनुदान मिला है. जिससे इनका उद्यम रफ्तार पकड़ चुका है. सभी 51 स्टार्टअप ने इस जोन में तकरीबन 15 हजार से ज्यादा किसानों को लाभान्वित किया है.
संस्थान के अनुसंधान निदेशक डा. अनिल कुमार सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का इनक्यूबेशन सेंटर बनाने की पहल आरंभ कर दी गई है. कई संस्थाओं से एमओयू पाइप लाइन में है. नयी टेक्नोलाॅजिकल सपोर्ट के प्रयास भी किए जा रहे हैं. सब एग्रीस के प्रबंधक अशोक जायसवाल के अनुसार इस केंद्र के पांच स्तंभ हैं, जो पांच एफ से जुड़ेहैं. फूड, कैटल फीड, फैब्रिक मतलब कपड़ा, फ्यूल मतलब ऊर्जा, फैकेड मतलब घर है. अबतक इसमें 34 स्टार्टअप इंडोर्स हुए हैं. केंद्र को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए हाल ही में चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट, पटना के साथ भी एमओयू किया गया है. दोनों मिलकर बिहार के स्टार्टअप इकोसिस्टम को एंपावर करने के प्रयास में लगे हैं.