Amit Shah Angry: लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली. जब विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इस ऑपरेशन को लेकर सरकार की ओर से बयान दे रहे थे, तब विपक्षी सांसद लगातार शोर-शराबा कर रहे थे और सवाल उठा रहे थे. इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी सीट से खड़े हुए और विपक्ष पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि विपक्ष को भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है, बल्कि उन्हें किसी और देश की बातों पर अधिक विश्वास है.
‘विदेशी पर भरोसा, भारतीय मंत्री पर नहीं’ : अमित शाह
अमित शाह ने कहा, “मुझे इस बात पर आपत्ति है कि उन्हें (विपक्ष को) एक भारतीय विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है, बल्कि किसी और देश पर भरोसा है. मैं उनकी पार्टी में विदेशी के महत्व को समझ सकता हूं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उनकी सोच इस सदन पर थोपी जाए. यही कारण है कि वे आज भी विपक्ष में बैठे हैं और आने वाले 20 वर्षों तक वहीं बैठे रहेंगे.”
#WATCH | During the discussion on Operation Sindoor in the House, Union Home Minister Amit Shah says, "…I have an objection that they (Opposition) don't have faith in an Indian Foreign Minister but they have faith in some other country. I can understand the importance of… pic.twitter.com/Jd6MPLneg7
— ANI (@ANI) July 28, 2025
जयशंकर ने क्या कहा ऑपरेशन सिंदूर पर
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने बयान में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की कूटनीति का मुख्य केंद्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था. चुनौती यह थी कि सुरक्षा परिषद को इस मुद्दे पर साथ लिया जाए, जबकि पाकिस्तान उसका सदस्य है. उन्होंने कहा कि दो मुख्य लक्ष्य थे– पहला, हमले की जवाबदेही तय करना और दूसरा, दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना. उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान में इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और यह कहा गया कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है. सुरक्षा परिषद ने यह भी कहा कि इस हमले के अपराधियों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाए.
सरकार ने कहा– राष्ट्रीय सुरक्षा पर एकजुट हो सदन
सरकार की ओर से यह भी आग्रह किया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद जैसे गंभीर विषयों पर विपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिए. अमित शाह और जयशंकर दोनों ने स्पष्ट किया कि यह समय देशहित में एकजुट होने का है, न कि मतभेद दिखाने का.
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