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GST से सरकार का खजाना मालामाल: मई में 2 लाख करोड़ के पार पहुंचा कलेक्शन, अर्थव्यवस्था को मिली बड़ी ‘बूस्ट’

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HelloCities24
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GST Collection: पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में 7.4% की शानदार जीडीपी वृद्धि के बाद, देश की अर्थव्यवस्था को अब जीएसटी संग्रह से भी बूस्ट मिला है. चालू वित्त वर्ष 2025-26 में लगातार दूसरे महीने जीएसटी संग्रह ₹2 लाख करोड़ के पार पहुंच गया.

मई महीने में जीएसटी संग्रह पिछले साल मई के मुकाबले 16.4% बढ़कर ₹2,01,050 करोड़ रुपये रहा. इस साल अप्रैल में ₹2.37 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह किया गया था. चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में कुल ₹4,37,767 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हो चुका है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 14.3% अधिक है.

इस वित्त वर्ष में 11% बढ़ोतरी का अनुमान

चालू वित्त वर्ष के बजट में जीएसटी संग्रह में 11% की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है. वित्त मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई माह के जीएसटी संग्रह में CGST की हिस्सेदारी ₹35,434 करोड़ रुपये, जबकि SGST की ₹43,902 करोड़ रुपये रही. IGST मद में ₹1,08,836 करोड़ रुपये और सेस मद में ₹12,879 करोड़ रुपये वसूले गए. मई माह में ₹27,210 करोड़ रुपये का जीएसटी रिफंड रहा. इस प्रकार, मई में जीएसटी का शुद्ध संग्रह ₹1,73,841 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल मई के शुद्ध संग्रह की तुलना में 20.4% अधिक है.

पिछले साल भी जीएसटी संग्रह काफी ज्यादा रहा.

पिछले साल मई में जीएसटी का शुद्ध संग्रह ₹1,44,381 करोड़ रुपये था. टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विस के पार्टनर विवेक जालान के अनुसार, मई में घरेलू बिक्री से मिलने वाले जीएसटी में 10% और आयात से मिलने वाले जीएसटी में 73% की बढ़ोतरी हुई है, जो दर्शाता है कि आयात काफी तेजी से बढ़ रहा है. इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

राज्यों के जीएसटी संग्रह में असमानता

दूसरी तरफ, राज्यों के जीएसटी संग्रह की दर में भी काफी असमानता दिख रही है. मई में केरल के जीएसटी संग्रह में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 24%, तमिलनाडु में 25%, कर्नाटक में 20%, दिल्ली में 38% और बिहार में 23% का इजाफा रहा, लेकिन दूसरी तरफ मई में गुजरात के जीएसटी संग्रह में चार प्रतिशत, तेलंगाना में छह प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में एक प्रतिशत, हरियाणा में नौ प्रतिशत और झारखंड में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी रही. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस असमानता का भी अध्ययन करना चाहिए.

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