Operation Sindoor: पाकिस्तान के खिलाफ “ऑपरेशन सिंदूर” में भारतीय सेनाओं की शानदार सफलता ने देश का मान बढ़ाया है. जहां एक तरफ़ हर तरफ वाहवाही हो रही है, वहीं भारतीय वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एक बेहद गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने रक्षा सौदों के बावजूद लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में हो रही देरी पर खुलकर सवाल उठाए हैं. वायुसेना प्रमुख ने साफ कहा कि “एक भी परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई है,” जो भविष्य के युद्धों के लिए हमारी तैयारियों पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है.
भारतीय वायुसेना को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस की आपूर्ति में हो रही देरी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार हम रक्षा अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय जानते हैं कि ये उपकरण समय पर सिस्टम में नहीं आएंगे.
CII की सालाना बैठक में रखा अपना पक्ष
रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों और एजेंसियों को स्पष्ट संदेश देते हुए वायुसेना प्रमुख ने गुरुवार को शीर्ष उद्योग संगठन सीआईआई की सालाना बैठक के एक सत्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा, “हम ऐसा वादा ही क्यों करें, जो पूरा नहीं हो सकता.” वायुसेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा सौदों की आपूर्ति समय-सीमा के भीतर न होना एक बड़ा मुद्दा है. आपूर्ति में विलंब ने सैन्य बलों की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर असर डाला है.
उन्होंने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए का जिक्र किया, जिसके लिए वायुसेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से समझौता किया है. एचएएल से करीब 48,000 करोड़ रुपये के 83 तेजस विमानों की खरीद के समझौते के तहत वायुसेना को मार्च 2024 से ही विमानों की आपूर्ति शुरू होनी थी, लेकिन यह अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.
तेजस एमके-1ए की आपूर्ति में देरी: वायुसेना प्रमुख
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि अमेरिकी कंपनी जीई से तेजस के इंजन की आपूर्ति का करार है, मगर इसमें दो साल से अधिक की देरी हुई है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की शुरुआत के तत्काल बाद फरवरी में हुई अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया भी था.
वायुसेना प्रमुख ने कहा, “तेजस एमके-1ए की आपूर्ति में देरी हो रही है और तेजस एमके-2 का प्रोटोटाइप अभी तक रोल आउट नहीं हुआ है.” उन्होंने आगे कहा कि स्टील्थ एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), जो पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू फाइटर जेट है, उसका भी अभी तक कोई प्रोटोटाइप नहीं है.
सैन्य बलों और उद्योग जगत के बीच विश्वास की जरूरत
अभी दो दिन पहले ही रक्षा मंत्रालय ने एएमसीए के प्रोटोटाइप विमान बनाने के क्रियान्वयन मॉडल परियोजना को औपचारिक मंजूरी दी है. एअर चीफ मार्शल ने कहा, “हम सिर्फ भारत में उत्पादन के बारे में बात नहीं कर सकते. हमें अपने यहां डिजाइनिंग और विकास की भी बात करनी चाहिए.”
उन्होंने जोर दिया कि सैन्य बलों और उद्योग जगत के बीच विश्वास की जरूरत है. उन्होंने कहा, “हमें बहुत खुला होना चाहिए. एक बार जब हम किसी चीज के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं तो उसे पूरा करना चाहिए, यानी ‘प्राण जाए पर वचन न जाई’.”
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वायुसेना भारत में निर्माण के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है. हमें भविष्य के लिए अभी से तैयार रहना होगा. उन्होंने साफ कहा कि अगले 10 वर्षों में उद्योग से अधिक उत्पादन मिलेगा, लेकिन जो हमें आज चाहिए, उस काम को जल्दी से जल्दी पूरा करना होगा.
सेनाओं की ऑपरेशनल क्षमता के लिए रक्षा आपूर्ति की अनिवार्य जरूरत को रेखांकित करते हुए एअर चीफ मार्शल ने कहा, “हमारी सेनाओं को सशक्त बनाकर ही युद्ध जीते जाते हैं.” उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि जब हम भारत में विश्व स्तरीय कार समेत अन्य वस्तुएं बना सकते हैं, तो फिर देश के लिए रक्षा उपकरण बनाने के लिए भी उन्हें आगे आना चाहिए.
ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय जीत
वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान के खिलाफ “ऑपरेशन सिंदूर” को राष्ट्रीय जीत बताते हुए कहा कि तीनों सेनाओं ने इस ऑपरेशन को बेहद पेशेवर तरीके से अंजाम दिया. उन्होंने कहा, “हम सच्चाई के रास्ते पर चल रहे थे, इसलिए मुझे लगता है कि इसमें भगवान भी हमारे साथ थे.” उन्होंने सभी नागरिकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि हर भारतीय इस जीत की उम्मीद कर रहा था.
उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा ऑपरेशन था जिसे सभी एजेंसियों और सैन्य बलों ने बहुत ही पेशेवर तरीके से क्रियान्वित किया.” एअर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि जब सच्चाई आपके साथ होती है, तो सब कुछ अपने आप हो जाता है.
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