Jharkhand News : श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे हत्याकांड में सजा काट रहे तीन दोषियों को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. तीनों सजायाफ्ताओं की आजीवन कारावास की सजा झारखंड हाईकोर्ट से निरस्त कर दी गयी है. निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
Sri Leathers owner Ashish Dey murder case: जमशेदपुर के बहुचर्चित श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे हत्याकांड में तीन दोषियों को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाइकोर्ट से आजीवन कारावास की सजा निरस्त कर दी गयी है. निचली अदालत ने जितेंद्र, विनोद व अमलेश को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. सजायाफ्ताओं की ओर से दायर क्रिमिनल अपील याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाया. जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने सजायाफ्ता जितेंद्र कुमार सिंह, विनोद कुमार सिंह और अमलेश कुमार सिंह को राहत देते हुए उनको दी गयी आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा को निरस्त कर दिया. खंडपीठ ने पूर्व में 13 अगस्त 2024 को मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी और राज्य सरकार का पक्ष सुना था. सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं, इस मामले में अदालत पहले ही अखिलेश सिंह और विक्रम शर्मा को बरी कर चुकी है.
लोग जानना चाह रहे कौन लोग शामिल थे?
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब सवाल उठने लगा कि आखिर आशीष डे की हत्या किसने की थी? तीनों सजायाफ्ताओं के बरी होने के बाद लोग जानना चाह रहे हैं कि मिलनसार आशीष डे को क्यों मारा गया? इसमें कौन लोग शामिल थे? पुलिस क्यों सजा नहीं दिला पायी? क्या पुलिस ने उस वक्त आनन-फानन में या किसी के दबाव में थ्योरी तैयार की थी?
साकची में गोली मार कर हत्या कर दी थी
देश में नामी कंपनी श्रीलेदर्स (साकची) और होटल स्मिता के मालिक आशीष डे (53 वर्ष) की दो नवंबर (शुक्रवार) 2007 की सुबह 08:50 बजे अज्ञात अपराधियों ने साकची में गोली मार कर हत्या कर दी थी. आशीष डे साकची आम बागान मैदान के पास स्थित अपने घर (मकान नंबर 147 भइया) से टीवीएस विक्टर मोटर साइकिल ( जेएच-05डी-6556) से साकची बाजार स्थित दुकान जा रहे थे. जैसे ही वह आमबागान मैदान के पीछे से होते हुए सरकार बिल्डिंग की ओर बढ़े, स्पीड ब्रेकर के पास अपराधियों ने उन पर दो गोलियां चलायीं. पीठ में उन्हें दोनों गोली लगी और वह मेन रोड पर स्प्रिंग ब्लूम्स स्कूल के पास गिर गये. स्थानीय लोगों ने उन्हें टीएमएच पहुंचाया था, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. अपीलकर्ता जितेंद्र कुमार सिंह, अमलेश कुमार सिंह और विनोद कुमार सिंह ने जमशेदपुर की निचली अदालत द्वारा दी गयी आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी थी. निचली अदालत ने 17 सितंबर 2011 को मामले में तीनों आरोपियों को दोषी पाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.