Bihar Voter List Revision: बिहार में मतदाता सूची को लेकर चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. अदालत ने फिलहाल SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन चुनाव आयोग को यह सुझाव दिया है कि वह आधार कार्ड और वोटर ID को वैध दस्तावेज के रूप में मान्य करने पर विचार करे. वहीं कोर्ट ने राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में खारिज किए जाने पर भी नाराजगी जताई है. मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
राशन कार्ड पर आपत्ति, आधार-वोटर ID पर विचार करें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि SIR प्रक्रिया संवैधानिक जिम्मेदारी है, जिसे रोका नहीं जा सकता. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को आधार और वोटर ID को दस्तावेज के रूप में मान्यता देने पर विचार करना चाहिए. चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि राशन कार्ड में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़े की आशंका है, इसलिए उसे मान्य नहीं किया जा सकता. इस पर कोर्ट ने आपत्ति जताई और कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की तारीख मंगलवार को तय की जाएगी.
65 लाख नाम हटाए गए, मृतक और स्थानांतरित मतदाता शामिल
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि SIR के पहले चरण में बिहार की मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए गए हैं. इनमें 22 लाख मृतक, 36 लाख स्थानांतरित और 7 लाख डुप्लीकेट नाम शामिल हैं. इस संशोधन के बाद राज्य की कुल मतदाता संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है. आयोग ने बताया कि यह प्रक्रिया घर-घर जाकर बीएलओ द्वारा सत्यापन के आधार पर की गई.
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विपक्ष की याचिकाओं पर भी हुई सुनवाई
इस मामले में RJD सांसद मनोज झा, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कुल 11 याचिकाकर्ताओं ने SIR के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की थीं. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायण ने इनकी ओर से पैरवी की. जबकि चुनाव आयोग की तरफ से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने पक्ष रखा.
कोर्ट ने कहा- अभी रोक की जरूरत नहीं
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि फिलहाल इस प्रक्रिया पर किसी भी तरह की अंतरिम रोक लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं की ओर से भी इस पर स्थगन की कोई स्पष्ट मांग नहीं आई है. अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, जिसमें अदालत यह तय करेगी कि विस्तृत बहस कब होगी.
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