कांवर यात्रा होगी सुगम(फोटो: AI)
श्रावणी मेला 2025 में बाबा धाम जाने वाले लाखों कांवरियों को इस बार जर्जर सड़कों की परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी. सुलतानगंज से झारखंड बॉर्डर तक के दोनों मार्गों—स्टेट हाईवे और कच्ची कांवरिया पथ—को सुगम बनाने के लिए पथ निर्माण विभाग ने योजना पर काम शुरू कर दिया है. पक्के मार्ग पर गड्ढों की मरम्मत के लिए 29 लाख रुपये और कच्चे रास्ते को चलने लायक बनाने के लिए 36.05 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. विभाग का लक्ष्य है कि मेला शुरू होने से पहले सभी कार्य पूरे हो जाएं, ताकि कांवरियों को सुरक्षित, समतल और आरामदायक रास्ता मिल सके.
सुलतानगंज से लेकर झारखंड बॉर्डर दर्दमारा तक स्टेट हाईवे-22 पर कांवरियों की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए मरम्मत का काम कराया जाएगा. पथ निर्माण विभाग, कार्य प्रमंडल बांका ने इसके लिए निविदा जारी कर दी है. 27 जून को बिड खोलकर कांट्रैक्टर का चयन किया जाएगा. विभाग ने स्पष्ट किया है कि मेला शुरू होने से पहले हाईवे को गड्ढामुक्त बना दिया जाएगा, ताकि पैदल चलने वाले कांवरियों को कोई असुविधा न हो.
सुलतानगंज से डुम्मा (झारखंड बॉर्डर) तक की लगभग 83 किलोमीटर लंबी कच्ची कांवरिया पथ पर भी बड़े पैमाने पर कार्य होंगे. इसमें रैनकट रिपेयरिंग, गंगा बालू बिछाव, पानी छिड़काव और सफाई जैसे काम शामिल हैं. यह सभी कार्य 36.05 करोड़ रुपये की लागत से होंगे. ठेका एजेंसी को 45 दिन में काम पूरा करना होगा.
इसके बाद निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक माह की निर्माण अवधि और दो माह का रखरखाव अवधि तय किया गया है. मलेमास में यह अवधि बढ़कर चार माह (एक माह निर्माण, तीन माह रखरखाव) होगी.
स्टेट हाईवे-22 को फोरलेन के समकक्ष 10 मीटर चौड़ा करने की योजना पर फिलहाल रोक लग गई है. लगभग 385 करोड़ 87 लाख रुपये के इस प्रोजेक्ट का टेंडर हाल ही में रद्द कर दिया गया है. पथ निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता के अनुसार, चौड़ीकरण योजना को लेकर अब तक कोई नई दिशा नहीं दी गई है. ऐसे में अभी सिर्फ प्राथमिकता के तौर पर गड्ढों की मरम्मत और रास्ते को पैदल चलने लायक बनाया जा रहा है.
हर साल श्रावणी मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु सुलतानगंज से जल भरकर देवघर तक लगभग 100 किमी की पैदल यात्रा करते हैं. रास्ते की खराब स्थिति अक्सर उन्हें मुश्किल में डालती थी. इस बार विभाग ने पक्के और कच्चे दोनों रास्तों को सुधारने की पहल कर एक बड़ी राहत देने का काम किया है.
इससे कांवरियों को न सिर्फ यात्रा में सुविधा होगी, बल्कि आपात स्थिति में चिकित्सा, सुरक्षा और निगरानी की व्यवस्थाएं भी सुचारू रूप से संचालित की जा सकेंगी.
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