Ranchi RIMS : झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ब्लड बैंक में लगातार खून की कमी बनी रहती है. इस वजह से अक्सर ब्लड बैंक स्टाफ और मरीजों के परिजनों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. समस्या मुख्य रूप से इसलिए है कि मरीजों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त खून उपलब्ध नहीं हो पाता.
जानकारी के अनुसार, ब्लड बैंक को हर महीने लगभग 3,000 यूनिट खून की आवश्यकता होती है, लेकिन रक्तदान शिविरों और अन्य माध्यमों से मुश्किल से 600 से 700 यूनिट खून ही जमा हो पाता है. खून की उपलब्धता मुख्य रूप से रिप्लेसमेंट यानी “खून के बदले खून” के आधार पर होती है. सूत्रों के अनुसार, रोजाना भर्ती मरीजों को करीब 85-90 यूनिट खून उपलब्ध कराया जाता है, जो उनके परिजनों द्वारा रक्तदान के माध्यम से जुटाया जाता है. वहीं, 15-20 यूनिट खून मुफ्त में दिया जाता है, जो थैलेसिमिया, सिकल सेल एनीमिया या ऐसे मरीजों के लिए होता है जिनके लिए कोई रक्तदाता मौजूद नहीं होता.
रिम्स ब्लड बैंक हर महीने लगभग 15-20 रक्तदान शिविर आयोजित करता है, लेकिन इन शिविरों में मुश्किल से 20-22 यूनिट खून ही दान में मिलता है. यही खून की कमी का मुख्य कारण है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से निपटने के लिए लोगों को नियमित रक्तदान के प्रति जागरूक करना जरूरी है.
24 अक्तूबर की स्थिति
24 अक्तूबर को ब्लड बैंक में खून का स्टॉक केवल 177 यूनिट था. इनमें से 90 यूनिट तुरंत मरीजों को देना पड़ा. इसके कारण 25 अक्तूबर को स्टॉक और कम होने की संभावना जताई गई थी. हालांकि, इस दिन एक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया, जिससे कुछ हद तक खून की कमी पूरी होने की उम्मीद बनी. 23 अक्तूबर को ब्लड बैंक में स्टॉक मात्र 144 यूनिट था.
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