Ranchi News : आदिवासी समाज की संस्कृति, संघर्ष और परंपरा को बड़े परदे पर दिखाने के उद्देश्य से झारखंड की राजधानी रांची में पहली बार धरती आबा आदिवासी फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होने जा रहा है. मोरहाबादी स्थित डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) में यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 14 से 16 अक्टूबर तक चलेगा. संस्थान ने बताया कि यह देश का पहला राष्ट्रीय आयोजन होगा, जो पूरी तरह से आदिवासी जीवन और विषयों पर केंद्रित है.
इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से फिल्मकार अपनी रचनात्मक प्रस्तुतियां लेकर पहुंचेंगे. उद्घाटन 14 अक्टूबर को कल्याण मंत्री चमरा लिंडा करेंगे.
फेस्टिवल की तैयारियों को लेकर शुक्रवार को संस्थान में बैठक हुई, जिसमें उपनिदेशक मोनिका रानी टूटी, रूबी कुमारी, सहायक निदेशक राकेश रंजन उरांव, फिल्मकार मेघनाथ, निरंजन कुजूर और रूपेश साहू समेत कई अधिकारी मौजूद रहे.
तीन दिन चलेगा आयोजन, देशभर से आईं 52 चुनिंदा फिल्में होंगी प्रदर्शित
फेस्टिवल के लिए देशभर से 148 प्रविष्टियां आईं थीं, जिनमें से 52 फिल्मों को प्रदर्शन के लिए चुना गया है. इनमें झारखंड की नाची से बांची और टापू राजी जैसी चर्चित फिल्मों के साथ दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्व और अन्य राज्यों की उत्कृष्ट फिल्में शामिल हैं. प्रदर्शनी डॉ. रामदयाल मुंडा संस्थान के महाराजा मदरा मुंडा थिएटर और संग्रहालय भवन सभागार में होगी. थिएटर में 50 और सभागार में करीब 150 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था की गई है. प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक फिल्मों की स्क्रीनिंग चलेगी.
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फिल्मों के मूल्यांकन के लिए जूरी में अंजली मोंटेरियो, केपी जयशंकर, श्यामल कर्माकर और कृष्णा शौर्य जैसे राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ शामिल होंगे. झारखंड से भी कई फिल्म जानकार इस प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे. तीनों दिन फिल्मों पर चर्चा सत्र आयोजित होंगे और बेहतरीन फिल्मों को सम्मानित किया जाएगा.
आदिवासी जीवन के रंग, संस्कृति और सोच से सजेगा फेस्टिवल
यह फेस्टिवल सिर्फ फिल्म प्रदर्शन का मंच नहीं, बल्कि आदिवासी जीवनदर्शन को समझने का अवसर भी बनेगा. यहां प्रदर्शित फिल्मों में जनजीवन, सामाजिक संघर्ष, परंपरा, दर्शन और नॉलेज सिस्टम के विविध पहलू झलकेंगे. आयोजक संस्थान ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर पारंपरिक खानपान और हस्तशिल्प के स्टॉल भी लगाए जाएंगे, ताकि दर्शक आदिवासी संस्कृति को नजदीक से महसूस कर सकें.
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