RPF बना बच्चों का रक्षक
Railway News: रेलवे स्टेशनों पर संकट में फंसे नाबालिगों के लिए मालदा डिवीजन का ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ एक मानवीय मिशन बन चुका है. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने इस अभियान के तहत अब तक 247 बच्चों को तस्करों और खतरे की परिस्थितियों से निकालकर सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया है. यह अभियान न सिर्फ बाल सुरक्षा को लेकर आरपीएफ की प्रतिबद्धता दिखाता है, बल्कि समाज के प्रति उसकी गहरी संवेदनशीलता का भी प्रमाण है.
मालदा डिवीजन के डिवीजनल रेलवे मैनेजर मनीष कुमार गुप्ता के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान ने दो वित्तीय वर्षों में उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं. 2023-24 में 111 लड़कों और 54 लड़कियों समेत 165 बच्चों को बचाया गया. इस दौरान दो तस्कर भी पकड़े गए. वहीं, 2024-25 में अब तक 163 लड़कों और 84 लड़कियों सहित कुल 247 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया और 14 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है.
इन बच्चों को कभी लावारिस हालत में, कभी खोया हुआ या तस्करी की कोशिश में रेलवे परिसर में पाया गया. आरपीएफ की सतर्कता ने उन्हें समय रहते सुरक्षित किया और फिर बाल कल्याण समितियों (CWC) के समन्वय में उन्हें पुनर्वास के लिए सौंपा गया.
मालदा डिवीजन का आरपीएफ केवल बचाव कार्य ही नहीं कर रहा, बल्कि समाज को सजग और संवेदनशील बनाने की दिशा में भी सक्रिय है. प्रमुख स्टेशनों और ट्रेनों में मानव तस्करी व बाल संरक्षण को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इससे यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारी की भावना बढ़ रही है.
‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ न सिर्फ एक सुरक्षा मिशन है, बल्कि यह उन बच्चों के लिए नई शुरुआत भी है जो भटके हुए या संकट में थे. मालदा डिवीजन के आरपीएफ कर्मियों की तत्परता, मानवीय दृष्टिकोण और सामाजिक उत्तरदायित्व ने इस अभियान को एक प्रेरणादायी उदाहरण बना दिया है.
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