Patna News : पटना नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति की बैठक मंगलवार को फिर आयोजित नहीं हो सकी. नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर के अनुपस्थित रहने से तीसरी बार बैठक अधर में लटक गई. दोपहर 12:30 बजे से तीन बजे तक मेयर सीता साहू, डिप्टी मेयर रेशमी कुमारी और समिति सदस्य मनोज कुमार, बिनोद कुमार, कुमार संजीत, अनिता देवी, कांति देवी, श्वेता राय व कावेरी सिंह बैठक स्थल पर इंतजार करते रहे. लेकिन, कोई अधिकारी मौजूद नहीं था.
यहां तक कि अनुपस्थिति की जानकारी भी नहीं दी गई. जबकि नगर सचिव ने 13 सितंबर को ही सभी को पत्र भेजकर 16 सितंबर की बैठक तय कर दी थी. बैठक नहीं होने से वार्डों में विकास कार्यों से जुड़े प्रस्ताव लंबित रह गए.
नाराज मेयर और समिति सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नगर आयुक्त के रवैये को तानाशाही बताया और कहा कि मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मामले की जानकारी देंगे. जरूरत पड़ी तो धरना-प्रदर्शन और कोर्ट का सहारा भी लेंगे.
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पहले भी दो बार टल चुकी है बैठक
सशक्त स्थायी समिति की बैठक इससे पहले भी दो बार रद्द हो चुकी थी. 26 अगस्त को मुख्यमंत्री के शिलान्यास और मंगल तालाब कार्यक्रम के कारण मीटिंग स्थगित की गई थी. उसके बाद छह सितंबर को बैठक बुलाने की कोशिश हुई, लेकिन 200 में से सिर्फ चार एजेंडा मिलने पर इसे 16 सितंबर के लिए टाला गया. मंगलवार को भी नगर आयुक्त और अधिकारियों की गैरमौजूदगी के कारण तीसरी बार बैठक नहीं हो सकी.
समिति सदस्य बिनोद कुमार ने कहा कि नगर आयुक्त और सचिव के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर कोई जवाब नहीं मिला. उनका कहना था कि यदि व्यस्तता थी तो पूर्व सूचना दी जानी चाहिए थी. सदस्य कुमार संजीत ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होने वाली है, ऐसे में काम रुक जाएंगे. उन्होंने समिति के चुनाव कराने के विभागीय फैसले पर भी सवाल उठाया.
मेयर का जवाब और आरोप
मेयर सीता साहू ने बताया कि नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से भेजे गए शो-कॉज नोटिस का 245 पेज का जवाब विभाग को भेजा गया है. उनका आरोप है कि जांच की जिम्मेदारी संयुक्त नगर आयुक्त रहे देवेंद्र सुमन को दी गई, जो पहले नगर आयुक्त के अधीन काम कर चुके हैं. ऐसे में रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण है.
मेयर ने कहा कि नगर आयुक्त विशेष सचिव के पद पर रहते हुए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं. भ्रष्टाचार और निरंकुश व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
निगम प्रशासन का पलटवार
दूसरी ओर, नगर निगम प्रशासन ने बयान जारी कर कहा कि मेयर की अगुवाई में होने वाली बैठकों में जरूरी एजेंडे शामिल नहीं किए जाते. इसका असर विकास योजनाओं पर पड़ रहा है और निगम की छवि खराब हो रही है. प्रशासन ने कई नियमों का हवाला देते हुए कामकाज में कमियों का आरोप लगाया.
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