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Opposition Leader: कांग्रेस की पहली जीत! 10 साल से खाली पड़े इस ओहदे पर अब बैठेंगे RAHUL GANDHI

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Leader Of Opposition: नरेंद्र मोदी सरकार साल 2014 में जब सत्ता में आई तभी से नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली पड़ी है. राहुल गांधी से पहले इस पद पर बैठने वाली कांग्रेस की आखिरी नेता सोनिया गांधी थीं.

Leader Of Opposition:बुधवार (26 जून) को लगातार दूसरी बार ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 10 साल बाद राहुल गांधी को नेता विपक्ष की मान्यता दी है. इससे पहले साल 2009 से 2014 तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं. कांग्रेस की तरफ से विपक्षी आखिरी नेता सोनिया गांधी थी जो 1999 से 2004 तक इस पद पर थीं. राजीव गांधी भी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक विपक्ष के नेता रहे हैं.

9 जून, 2024 से प्रभावी रहेगा

राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष का दर्जा 9 जून, 2024 से प्रभावी रहेगा. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को मंगलवार (25 जून) को विपक्ष का नेता बनाया गया था. पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनके नाम की घोषणा की थी.

यहां लिया गया फैसला

लोकसभा में विपक्ष का नेता के रूप में राहुल गांधी को नियुक्त करने का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नई दिल्ली स्थित आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक में लिया गया था. राहुल गांधी पांच बार सांसद रह चुके हैं. वर्तमान में लोकसभा में रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मंगलवार को संविधान की एक प्रति लेकर सांसद के रूप में शपथ ली थी.

पीएम ने लोकसभा अध्यक्ष को दी बधाई

बुधवार को राजस्थान के कोटा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद ओम बिरला को दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और संसदीय कार्य मंत्री किरेनरिजिजू उन्हें आसन तक लेकर गए थे. इसके बाद ओम बिरला को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘‘आप दूसरी बार इस आसन पर विराजमान हो रहे हैं, यह इस सदन का सौभाग्य है.

विपक्ष को सदन के अंदर लोगों की आवाज उठाने का मौका मिले

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि वह विपक्ष को बोलने का मौका देकर संविधान रक्षा का अपना दायित्व निभाएंगे. विपक्ष सदन चलाने में पूरा सहयोग करेगा, लेकिन यह भी जरूरी है कि विपक्ष को सदन के अंदर लोगों की आवाज उठाने का मौका मिले.”

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