One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बड़ी खबर है. विधेयक कल यानी, 17 दिसंबर, 2024 मंगलवार को दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश किया जा सकता है.
One Nation One Election: यह माना जा रहा है कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल एक देश एक चुनाव बिल पेश करेंगे. यानी, वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक कल 17 दिसंबर, 2024 मंगलवार को लोकसभा में पेश हो सकता है. इसको लेकर बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है. कुछ दिनों पहले ही बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद ऐसा संभावना जताई जा रही थी कि इसी सत्र में सरकार इसे संसद में पेश करेगी. जानकारी के अनुसार एक देश एक चुनाव बिल मंगलवार को लोकसभा में दोपहर 12 बजे पेश किया जा सकता है. माना जा रहा है कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ये बिल पेश करेंगे.
बीजेपी के मुख्य सचेतक डॉ संजय जयसवाल ने लेटर जारी कर कहा, बीजेपी के सभी सांसद पूरे समय सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर सरकार के पक्ष का समर्थन करे. यानी, भाजपा ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को 17 दिसंबर, 2024 को कुछ महत्वपूर्ण विधायी कार्य चर्चा एवं पारित करने में सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है.
साल 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ ही होते थे. साल 1947 में आजादी के बाद भारत में नए संविधान के तहत देश में पहला आम चुनाव साल 1952 में हुआ था. तब राज्य की विधानसभाओं के लिए भी साथ-साथ चुनाव कराए गए थे. लेकिन अलग-अलग चुनावों का सिलसिला साल 1957 में केरल की वामपंथी सरकार बनने के साथ टूटा, क्योंकि वहां केंद्र सरकार ने 1957 की चुनाव के बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया था.
‘वन नेशन एक इलेक्शन बिल पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा, “इतना महत्वपूर्ण बिल जिसे वे बदलाव के लिए लाना चाहते हैं, लेकिन सरकार अपनी तानाशाही छोड़ने को तैयार नहीं है. उन्हें सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और इस पर चर्चा करनी चाहिए थी.
एक देश एक चुनाव बिल का मकसद इसके नाम से ही झलक जाता है. इस बिल के जरिए सरकार चाहती है कि पूरे देश में एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव करा लिए जाएं. लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के पीछे कई तरह के तर्क दिए जाते रहे हैं.
सरकार और इस बिल से जुड़ी कमिटी का दावा है कि चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होते ही सरकार कोई नई योजना लागू नहीं कर सकती है. आचार संहिता के दौरान नए प्रोजेक्ट की शुरुआत, नई नौकरी या नई नीतियों की घोषणा भी नहीं की जा सकती है और इससे विकास के काम पर असर पड़ता है. देश को विकास में बाधा का सामना करना पड़ता है, आए दिन चुनाव में देश के संसाधन खर्च होते हैं या उलझे रहते हैं. दावा किया जाता है कि इससे सरकारी कर्मचारियों को बार-बार चुनावी ट्यूटी से भी छुटकारा मिलेगा.