Bihar Elections 2025 : बिहार की सियासत में मंगलवार को हलचल मच गई जब भागलपुर के सांसद अजय मंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक भावनात्मक पत्र लिखते हुए सांसद पद से इस्तीफा देने की अनुमति मांगी. उनके इस पत्र ने जदयू खेमे में हड़कंप मचा दिया है और राजनीतिक गलियारों में इसे गहरी नाराजगी का संकेत माना जा रहा है.
दो दशक से अधिक समय से पार्टी और जनता के प्रति समर्पित
अजय मंडल ने पत्र में उल्लेख किया है कि वे पिछले 20-25 वर्षों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में विधायक और सांसद के रूप में जनता की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने जदयू को हमेशा अपने परिवार की तरह माना और संगठन, कार्यकर्ताओं व जनता के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत करने में लगातार प्रयासरत रहे. भागलपुर और नवगछिया के जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने सदैव संगठन को सशक्त बनाने का काम किया है.
टिकट बंटवारे को लेकर जताई असहमति
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सांसद ने पत्र में हालिया राजनीतिक निर्णयों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि बीते कुछ महीनों में पार्टी में ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जो जदयू के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में स्थानीय सांसद होने के बावजूद उनसे कोई परामर्श नहीं लिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग कभी पार्टी संगठन से जुड़े नहीं रहे, उन्हें टिकट दिए जाने की चर्चा है, जबकि जिलाध्यक्षों और स्थानीय नेतृत्व की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है.
संगठन की उपेक्षा पर गहरा क्षोभ
अजय मंडल ने पत्र में याद दिलाया कि 2019 में जब वे सांसद चुने गए थे, उस समय पूरे बिहार में जदयू जिन उपचुनावों में उतरी थी, उनमें केवल उनके क्षेत्र की सीट ही पार्टी ने जीती थी. उन्होंने कहा कि यह जीत उनके नेतृत्व, समर्पण और जनता के भरोसे का प्रमाण थी. लेकिन अब उनके ही क्षेत्र में कुछ लोग टिकट बांटने में लगे हैं और संगठन की अनदेखी कर रहे हैं, जो अत्यंत निराशाजनक है.
आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लिया फैसला
मंडल ने लिखा कि जब संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की राय का कोई मूल्य नहीं रह गया है, तब सांसद पद पर बने रहना उनके आत्मसम्मान के खिलाफ है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी तरह का विरोध या असंतोष नहीं, बल्कि पार्टी और मुख्यमंत्री के नेतृत्व को भविष्य में नुकसान से बचाने की भावना से उठाया गया कदम है.
कमजोर पड़ती जड़ों पर जताई चिंता
अजय मंडल ने अपने पत्र में आगाह किया कि यदि पार्टी में बाहरी या निष्क्रिय लोगों को तरजीह मिलती रही तो संगठन की जड़ें कमजोर पड़ेंगी और इसका सीधा असर नीतीश कुमार के नेतृत्व पर पड़ेगा. उन्होंने पत्र के अंत में लिखा —
“संगठन के प्रति सच्ची निष्ठा और आत्मसम्मान की भावना से मैं आपसे निवेदन करता हूं कि मुझे सांसद पद से त्यागपत्र देने की अनुमति दी जाए.”
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