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    Mumbai International Film Festival : संताली फिल्म आंगेन को मिली इंट्री

     Mumbai International Film Festival  18वां मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में लौहनगरी जमशेदपुर की संताली फिल्म आंगेन को भी इंट्री मिली है. फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 15 से 21 जून तक मुंबई में होने जा रहा है.

    Mumbai International Film Festival : संताली फिल्म आंगेन को मिली इंट्री

    मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 18 वां में लौहनगरी जमशेदपुर की संताली फिल्म आंगेन को भी इंट्री मिली है. फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 15 से 21 जून तक मुंबई में होने जा रहा है. इसमें दिखाई जाने वाली फिल्मों का प्रदर्शन साथ ही साथ दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में भी किया जाएगा. संताली फिल्म आंगेन 16 जून को प्रदर्शित होगा. मुंबई समेत उक्त चारों महानगरों में भी फिल्म को प्रदर्शित किया जायेगा. मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहली बार किसी संताली मिली है. आंगेन 12 मिनट की शॉर्ट फिल्म है.


    जमशेदपुर से सटे आदिवासी गांव में हुई है फिल्म की शूटिंग
    इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक रविराज मुर्मू हैं. वे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के छात्र रहे हैं. वे बताते हैं कि आंगेन फिल्म की शूटिंग जमशेदपुर से सटे आदिवासी बहुल इलाके करनडीह, तुरामडीह, छोलागोड़ा व किनूटोला में की गयी है. इस फिल्म में रामचंद्र मार्डी, सलोनी, जितराई व फूलमनी ने बेहतरीय अभिनय किया है. साहित्यकार, गीतकार व लोक गायक दुर्गाप्रसाद मुर्मू ने इस फिल्म की धून को तैयार किया है.नूनाराम ने फिल्म को म्यूजिक दिया है. फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर निशांत राम टेके हैं.


    दो कंपनियों ने मिलकर किया है काम
    झारखंड की जनजातीय फिल्मों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की बीड़ा कोल्हान के ही पांच युवाओं ने उठायी है. इनमें रविराज मुर्मू, संजय कुमार टुडू, सेराल मुर्मू, कृष्णा सोरेन व राहुल बिरूली हैं. जनजातीय फिल्मों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने के लिए इन्होंने दो फिल्म निर्माण कंपनी बनायी है. इनमें दलमा मोशन पिक्चर्स और सांवता स्टूडियो है. इन दो फिल्म निर्माण कंपनी के बैनर तले ही संताली फिल्म आंगेन का निर्माण हुआ है.


    संताली लोक कथा पर बनी है फिल्म
    निर्माता-निर्देशक रविराज मुर्मू बताते हैं कि सुदूर गांव देहातों में कई लोक कथाएं हैं. इन लोक कथाओं में जनजातीय समुदाय के अनुभव व संघर्ष का सार छिपा हुआ है. इनमें सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक गहराई है. लोक कथाएं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सामूहिक सफर की जटिलताओं को भी दर्शाती है. वे बताते हैं कि फिल्म की कहानी धरती और देव लोक की है. देव लोक की एक सुंदरी को धरती के चरवाहा के प्रेम हो जाता है. वह अपनी दिव्य शक्ति से चरवाहा युवक को सम्मोहन कर लेती है और अपने साथ देव लोक में ले जाती है. लेकिन जब वह सम्मोहन से जागता है तो महसूस करता है कि वह देवी के प्रेम में बंधकर उनके लोक में चला आया है. फिर वह वहां से धरती लोक पर चला आता है. कहानी में कई रोचक मोड़ हैं जो लोगों में उत्सुकता को पैदा करते हैं. कहानी पर बारीकी से काम किया गया है. जो दर्शकों को अपने जगह से टस से मस तक नहीं होने देते हैं.

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