MODI 3.0 सरकार में रांची के सांसद संजय सेठ बने राज्यमंत्री, भाजपा कार्यकर्ता से मंत्री तक का जानें सफर

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By HelloCities24
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रांची से लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले भाजपा के संजय सेठ को MODI 3.0 सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है. राष्ट्रपति ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

Modi 3.0 में Sanjay Seth|रांची लोकसभा सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले संजय सेठ को मोदी 3.0 सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों के साथ संजय सेठ ने रविवार (9 जून) को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए एक-एक क्षण समर्पित रहेगा

शपथ लेने के बाद संजय सेठ ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया. कहा कि मुझ जैसे साधारण कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा परिवार, एनडीए और रांची की जनता का आभार व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए मेरा एक-एक क्षण समर्पित रहेगा.

रांची के सांसद बोले : …मेरा रोम-रोम समर्पित रहेगा

शपथ ग्रहण समारोह से पहले संजय सेठ ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर ट्वीट कर कहा कि यह नए भारत की शुरुआत है. विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए एनडीए की एकजुटता और देशवासियों के आशीर्वाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम मां भारती की सेवा में जुटे हैं. यह पल देशवासियों के लिए ऐतिहासिक है. इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए मेरा रोम- रोम समर्पित रहेगा.

रांची में सुबोधकांत सहाय को हराकर पहली बार बने थे सांसद

रांची लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संजय सेठ ने वर्ष 2019 के चुनाव में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय को पराजित किया था. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सुबोध कांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को टिकट दिया था. 65 साल के संजय सेठ ने यशस्विनी सहाय को 1,20,512 वोट से पराजित कर दिया.

40 साल से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं संजय सेठ

संजय सेठ चार दशक यानी 40 साल से झारखंड की राजनीति में सक्रिय हैं. कॉलेज के जीवन से ही सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे. चांद नारायण सेठ और करुणा सेठ के घर 25 अगस्त 1959 को रांची जन्मे संजय सेठ का विवाह 27 नवंबर 1983 को नीता सेठ से हुआ. उनकी एक बेटी और एक बेटा है. संजय सेठ ने बीकॉम, एलएलबी के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट्स इंडस्ट्रियल एडमिनिस्ट्रेशन की भी पढ़ाई की है. उन्होंने कानपुर, रांची और दिल्ली तीन जगह से पढ़ाई की है.

रांची, कानपुर और दिल्ली में की है पढ़ाई

उन्होंने शुरुआती पढ़ाई रांची के संत जोंस स्कूल से की. बीकॉम की पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड सर्विसेज दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई की. रांची के छोटानागपुर लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की. लंबे अरसे तक समाजसेवा से जुड़े रहे. सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन, आर्थिक मुद्दों पर सेमिनार, चर्चा आदि जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों के उत्थान से जुड़े कार्यक्रमों में उनकी विशेष रुचि है. संगीत सुनना, दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करना और फिल्में देखना उन्हें बहुत पसंद है.

कई राजनीतिक और गैर-राजनीतिक पदों पर रहे संजय सेठ

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थापना काल से ही वह पार्टी से जुड़ गए थे. कई राजनीतिक और गैरराजनीतिक पदों पर काम किया. वर्ष 1980 में ‘युवा शक्ति एक हो’ के केंद्रीय अध्यक्ष रहे. 1984 से 1992 तक रांची मोटर्स डीलर्स एसोसिएशन के मानद सचिव और 1993 में रांची मोटर डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे.

1996 में छोटानागपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स के मानद सचिव बने

संजय सेठ 1996 में छोटानागपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज रांची के मानद सचिव बने. 1997-98 में भी वह इस पद पर रहे. 1998-2004 तक संजय सेठ झारखंड प्रदेश के अभिभावक संघ के मानद सचिव बनाए गए. 1999 में वह छोटानागपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज रांची के वरीय उपाध्यक्ष बने. वर्ष 2000 में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष बने. वर्ष 2003 में लायंस क्लब ऑफ रांची कैपिटल के अध्यक्ष बने. वर्ष 2005 में झारखंड ओलिंपिक एसोसिएशन के एसोसिएटेड वाइस प्रेसिडेंट बने.

झारखंड पेड़ परिवार और नमो पतंग महोत्सव के हैं अध्यक्ष

वर्ष 2005 में संजय सेठ को रन फॉर झारखंड नेशनल गेम की ऑर्गनाइजिंग कमेटी का वाइस चेयरमैन बनाया गया. वह रेड क्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव समिति के मुख्य संरक्षक, झारखंड सिविल सोसाइटी के पूर्व संयोजक, झारखंड पेड़ परिवार के अध्यक्ष, नमो पतंग महोत्सव के अध्यक्ष, जगरनाथपुर मेला सुरक्षा समिति के मुख्य संरक्षक, मानव विकास सेवा समिति के अध्यक्ष और अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के आजीवन सदस्य हैं.

भाजपा के जमीन से जुड़े नेता हैं संजय सेठ

  • 1976 में संजय सेठ ने विद्यार्थी परिषद से छात्र संघ का चुनाव जीता
  • भारतीय जनता पार्टी के गठन के पहले दिन से ही वह पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे.
  • वर्ष 1980 में भारतीय जनता युा मोर्चा रांची नगर के महामंत्री रहे.
  • वर्ष 1982 से 85 तक जनता विद्यार्थी मोर्चा रांची विश्वविद्यालय के संयोजक रहे.
  • वर्ष 1986 में भाजपा रांची के वरीय उपाध्यक्ष बनाए गए.
  • वर्ष 1988 में रांची भाजपा के संगठन मंत्री बने.
  • वर्ष 1990 में भारतीय जनता पार्टी रांची के अध्यक्ष बने.
  • वर्ष 1996 में भारतीय जनता युवा मोर्चा झारखंड प्रदेश के प्रदेश महामंत्री बनाए गए.
  • वर्ष 2001 में झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता बने.
  • वर्ष 2001 में झारखंड प्रदेश भाजपा के आजीवन सहयोग निधि के सह संयोजक बनाए गए.
  • वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी रांची के अध्यक्ष बने.
  • वर्ष 2007 में झारखंड प्रदेश भाजपा के नगर निकाय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बने.
  • वर्ष 2009 में झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता बनाए गए.
  • वर्ष 2011 में झारखंड प्रदेश भाजपा के फिर से प्रदेश प्रवक्ता बनाए गए.
  • वर्ष 2013 में नमो मंत्र झारखंड के संयोजक बने.
  • लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के दिन हुए थे गिरफ्तार
  • संजय सेठ वर्ष 1992 में लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के दिन ही गिरफ्तार कर लिए गए थे. वह एक महीने तक रांची के सेंट्रल जेल में बंद रहे.
  • संजय सेठ 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवक भी बने.
  • आपातकाल एवं विद्यार्थी जीवन में आंदोलन करने के लिए कई बार जेल यात्रा की.
  • जेल भरो आंदोलन में भी भाग लिया.
  • वर्ष 2013 के जनवरी में जन समस्याओं के समाधान की मांग पर आंदोलन किया और 7 दिन तक बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद रहे.

कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं

  • 1999-2000 में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रहे.
  • 1999-2005 तक भारतीय स्टेट बैंक, पटना, बिहार, झारखंड के स्थानीय बोर्ड के 2 बार सदस्य रहे.
  • 2016-2019 तक झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष रहे.
  • मई 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए रांची संसदीय सीट से चुने गए.
  • 31 जुलाई 2019 को अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के सदस्य बनाए गए.
  • 13 सितंबर 2009 से संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के सदस्य हैं.
  • 9 अक्टूबर 2019 से अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के सदस्य हैं.

2021-22 में सबसे ज्यादा योजनाएं ली, सभी योजनाएं पूरी हुई

  • संसद के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2023-24 में उन्होंने 16 कार्यों की अनुशंसा की. 76.64 फीसदी राशि खर्च हुई, लेकिन एक भी काम पूरा नहीं हो पाया है. आंकड़ों के मुताबिक, उन्होंने इस वित्तीय वर्ष में 1.37 करोड़ रुपए की योजनाओं की अनुशंसा की. पूरी राशि आवंटित हो गई. 1.05 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी योजना पूरी नहीं हो पाई है.
  • इसके पहले वित्तीय वर्ष 2022-23 में उन्होंने 58 कार्यों की अनुशंसा की थी. इसमें से 20 कार्य पूरे हुए. 86.91 फीसदी राशि खर्च हुई और 13.09 फीसदी राशि खर्च नहीं हो पाई. इस वित्तीय वर्ष उन्होंने 4.05 करोड़ रुपए के कार्यों की अनुशंसा की. पूरी राशि आवंटित हो गई, लेकिन खर्च सिर्फ 3.519 करोड़ रुपए ही हो पाए. 38 योजनाएं अधूरी रह गईं.
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में उन्होंने 70 कार्यों की अनुशंसा की और सभी काम पूरे हो गए. इस वित्त वर्ष में 4.75 करोड़ रुपए की योजनाओं की अनुशंसा की थी. इतनी ही राशि खर्च हुई और सभी योजनाएं पूरी हुईं. वित्तीय वर्ष 2020-21 और वर्ष 2024-25 में उन्होंने किसी योजना या परियोजना की अनुशंसा नहीं की.
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