Manipur Violence: ‘एक साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा मणिपुर’, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने चेताया

Published by
By HelloCities24
Share

Manipur Violence: पिछले एक साल से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने हिंसाग्रस्त राज्य को शांति की राह में लाने के लिए प्रयास करने की मांग की.

Manipur Violence: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, मणिपुर एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है. यह 10 साल से शांत था. ऐसा लगता था कि पुरानी बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है. अचानक जो कलह वहां उपज गया या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है. त्राही-त्राही कर रहा है और उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. . मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा. चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है.

मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा

पिछले साल मई में मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी. तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी के बाद हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. इस आगजनी में मकान और सरकारी इमारतें जलकर खाक हो गई हैं. पिछले कुछ दिनों में जिरीबाम से ताजा हिंसा की सूचना आयी हैं.

लोकसभा चुनाव पर भी मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, चुनाव लोकतंत्र की एक अनिवार्य प्रक्रिया है. इसमें दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है. चूंकि यह एक प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. लेकिन इसमें एक गरिमा होती है. झूठ का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. संसद में जाने और देश चलाने के लिए लोगों को चुना जा रहा है. वे सहमति बनाकर ऐसा करेंगे. हमारे यहां सहमति से चलने की परंपरा रही है. यह प्रतिस्पर्धा कोई युद्ध नहीं है. एक-दूसरे की जिस तरह की आलोचना की गई, इससे समाज में मतभेद पैदा होगा और विभाजन होगा.

लोकसभा चुनाव आरएसएस जैसे संगठनों को बेवजह घसीटा गया

मोहन भागवत ने कहा, लोकसभा चुनाव में आरएसएस जैसे संगठनों को भी इसमें बेवजह घसीटा गया. तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया. झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया. ऐसा देश कैसे चलेगा? इसे विपक्ष कहते हैं. इसे विरोधी नहीं माना जाना चाहिए. वे विपक्ष हैं, एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. उनकी राय भी सामने आनी चाहिए. चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है. उस गरिमा का ख्याल नहीं रखा गया. वही सरकार फिर से सत्ता में आ गई है – एनडीए. यह सही है कि पिछले 10 सालों में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हुई हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अब हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं.

Published by
By HelloCities24

लेटेस्ट न्यूज