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धर्म

Mangala Gauri Vrat 2025: सुहागिनों के लिए यह खास व्रत लाता है अखंड सौभाग्य, जानें पूजा विधि और महत्व

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HelloCities24
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Mangala Gauri Vrat 2025: श्रावण मास में आने वाला मंगला गौरी व्रत हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पावन व्रत विशेष रूप से पति की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना हेतु रखा जाता है. सावन के पहले मंगलवार से शुरू होकर यह व्रत पांच मंगलवार तक चलता है, और इसकी महिमा पुराणों में भी वर्णित है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और देवी गौरी की कृपा से घर में खुशियां बनी रहती हैं.

व्रत की महिमा और महत्व

मंगला गौरी व्रत का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. यह व्रत खासकर नवविवाहित स्त्रियां करती हैं, जिससे उन्हें सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है. देवी गौरी को स्त्री सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. इस व्रत से देवी गौरी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आनंद, प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है.

व्रत की तिथि और समय

यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है. उत्तर भारत और महाराष्ट्र में इसका विशेष महत्व है. विवाह के बाद पहले सावन में पहला व्रत करने और उसके बाद लगातार 5 वर्षों तक इसे करने की परंपरा है.

पूजा सामग्री और तैयारी

पूजा के लिए लकड़ी का पाटा, लाल वस्त्र, कलश, अक्षत, रोली, कुमकुम, फल, मिठाई, पंचमेवा, दीपक, कपूर, गंगाजल और मंगला गौरी की प्रतिमा या चित्र चाहिए होता है. व्रती स्त्री स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती है और पूजा स्थान को शुद्ध करती है.

संपूर्ण पूजा विधि

  • व्रती स्त्री पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें.
  • कलश स्थापना कर देवी मंगला गौरी का आह्वान करें.
  • 16 श्रृंगार सामग्री से देवी का पूजन करें.
  • व्रत कथा सुनें या पाठ करें.
  • दीपमालिका जलाकर आरती करें और स्त्रियां एक-दूसरे को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दें.

व्रत की कथा और उद्यापन

व्रत कथा में बताया गया है कि कैसे एक निर्धन ब्राह्मण की बहू ने यह व्रत करके अपने पति को अकाल मृत्यु से बचाया था. पांच वर्षों तक नियमित रूप से व्रत करने के बाद उद्यापन किया जाता है, जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियों को भोजन करवाकर उन्हें वस्त्र और श्रृंगार सामग्री भेंट की जाती है.

मंगला गौरी व्रत नारी जीवन में सौभाग्य, सुख और समृद्धि सुनिश्चित करता है. यह व्रत न केवल पति की दीर्घायु के लिए, बल्कि पूरे परिवार की भलाई और शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है.

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