Karam Puja 2025: झारखंड सहित बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में करमा पर्व आज 3 सितंबर 2024 को मनाया जा रहा है. यह पर्व प्रकृति और संस्कृति से जुड़ा महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें आदिवासी समाज अपने रीति-रिवाज और आस्था के अनुसार उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं.
करमा पूजा की विधि
करमा पूजा से पहले घर को साफ-सुथरा किया जाता है और पूजा स्थल पर शुद्धि के लिए गाय का गोबर लगाया जाता है. पूजा में कर्म वृक्ष की शाखाओं को गाड़कर उनका पूजन किया जाता है. महिलाएं थालियों में फूल, दीप और अन्य सामग्री सजाकर करम देव की आराधना करती हैं और अपने भाई-बहनों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उन्नति की कामना करती हैं.
पूजा के दौरान लोककथाओं और कर्म-संस्कृति की कहानियां सुनाई जाती हैं, जिनमें अच्छे कर्मों के महत्व और उनके फल बताए जाते हैं. इस पर्व की विशेष परंपरा यह है कि विवाहित महिलाएं अपने मायके आकर पूजा करती हैं. पूजा समाप्त होने के बाद भाई-बहन एक-दूसरे से व्रत के उद्देश्य के बारे में पूछते हैं और खीरे के साथ आशीर्वाद देते हैं.
करमा पर्व का महत्व
आदिवासी समाज में करमा पर्व को अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं इस दिन उपवास रखकर फसलों की रक्षा करती हैं और अच्छी पैदावार की कामना करती हैं. ऐसा माना जाता है कि जो कन्याएं सच्ची निष्ठा से व्रत करती हैं, उन्हें योग्य जीवनसाथी मिलता है. इसके अलावा, करमा पर्व परिवार की भलाई, समृद्धि और संतान सुख की मंगलकामनाओं से भी जुड़ा हुआ है.
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