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धर्म

भव्य होगी जगन्नाथ रथयात्रा: आज सुबह से पूजा-अर्चना, शाम को गाजे-बाजे के साथ निकलेंगे भगवान

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HelloCities24
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Bhagalpur News: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा गुरुवार को भगवान जगन्नाथ एकांतवास से बाहर आये और भक्तों को दर्शन दिये. शुक्रवार को पूरे शहर में पारंपरिक उल्लास और भक्ति के साथ रथयात्रा निकाली जायेगी. जगन्नाथ मंदिरों में अलसुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू होगा और शाम को भव्य तरीके से भगवान की रथ यात्रा निकाली जायेगी. इसे लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

रथ यात्रा नया बाजार, सखीचंद घाट रोड, गिरधारी साह हाट, बाटा गली और चंपानगर-नाथनगर के मंदिरों से निकाली जायेगी. पूरे नगर में सुरक्षा व श्रद्धा का माहौल रहेगा.

पुष्पवर्षा और वैदिक मंत्र के साथ सजेंगे रथ

नया बाजार स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारी सौरभ मिश्रा ने बताया कि शुक्रवार को संध्या 5:30 बजे पंडित समीर कुमार मिश्रा के नेतृत्व में रथयात्रा निकाली जायेगी. 11 पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान का भव्य श्रृंगार कर आरती और मिठाई का भोग लगाया जायेगा. फूल-मालाओं से सजे रथ में रस्सी बांध दी गई है.

यात्रा नया बाजार से शुरू होकर बूढ़ानाथ चौक, खलीफाबाग चौक, वेरायटी चौक, स्टेशन चौक होते हुए मंदिर लौटेगी. यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें भगवान बलराम व सुभद्रा के साथ रथ पर मौसी के घर जाते हैं और नौ दिनों तक वहीं रहते हैं.

सुबह चार बजे से बाटा गली मंदिर में विशेष अनुष्ठान

सूजागंज के बाटा गली स्थित मंदिर से भी रथ यात्रा निकाली जायेगी. यहां पूजा सुबह 4 बजे से शुरू हो जायेगी. पंडित सुशील मिश्रा व मुकेश मिश्रा के नेतृत्व में भगवान को 4:30 बजे विशेष अन्न भोग अर्पित किया जायेगा, जिसमें चावल, दाल, सब्जी, मीठा पुलाव व खीर शामिल रहेगा. यह साल का एकमात्र दिन होता है, जब सुबह भगवान को अन्न भोग लगाया जाता है. 5 बजे से सर्वदर्शन सुलभ हो जायेगा और दोपहर 12 बजे तक पूजा के बाद मंदिर के पट बंद कर दिये जायेंगे.

इसके बाद भगवान के विग्रह को रथ पर विराजमान कर विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, मंगल आरती और रस्सा बंधन के साथ रथयात्रा शुरू होगी.

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श्रद्धालुओं की व्यवस्था में जुटे समिति सदस्य

रथयात्रा की सफलता के लिए आयोजन समिति के कैलाशनाथ वाजपेयी, हिमांशु कुमार, प्रदीप श्रीवास्तव, चंद्रशेखर पांडेय, रंजीत मंडल, गोविंद शर्मा, विकास शर्मा आदि लगातार जुटे हुए हैं. पूरे आयोजन को पारंपरिक और शुद्ध वैदिक रीति से संपन्न कराने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं.

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