36 C
Delhi
Wednesday, September 10, 2025
- Advertisment -

ब्रेकिंग वीडियो

Indira Ekadashi Vrat Katha 2024: इंदिरा एकादशी आज, व्रत कथा सुनने से पितरों को मिलता है मोक्ष

- Advertisement -

Indira Ekadashi Vrat Katha 2024: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 सितंबर यानी कल दोपहर 1 बजकर 20 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 28 सितंबर यानी आज दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर होगा. आज 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. इस व्रत में कथा सुनने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होती है.

 Indira Ekadashi Vrat Katha 2024: इंदिरा एकादशी का व्रत और श्राद्ध कर्म 28 सितंबर दिन शनिवार को किया जा रहा है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा अर्चना और उपवास करना चाहिए और पितरों को अधोगति से मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और दान करना चाहिए. आश्विन मास के श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का व्रत करने से पितृ दोष समाप्त होता है. पूजा के दौरान इंदिरा एकादशी की कथा अवश्य पढ़ें. इससे व्रत सफल होगा और पुण्य की प्राप्ति भी होगी.

  1. एकादशी वर्ष के प्रमुख व्रतों में से एक है.
  2. एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है.
  3. एकादशी माह में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती है.

इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat 2024 Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में इंद्रसेन नाम का एक राजा था, जो महिष्मती नगरी में राज्य करता था. उसे सभी भौतिक सुख प्राप्त थे. एक दिन नारद मुनि, राजा इंद्रसेन की सभा में उनके मृत पिता का संदेश लेकर पहुंचे. नारद जी ने राजा इंद्रसेन को बताया कि कुछ दिन पहले उनकी भेंट यमलोग में राजा के पिता से हुई. राजा के पिता ने नारद जी को यह कहा कि उनके जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग हो गया था, जिस वजह से उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिल पाई है और वह अभी भी यमलोक में भटक रहे हैं.

यह संदेश सुनकर राजा बहुत ही दुखी हो गए और उन्होंने नारद जी से अपने पिता को मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा? जिसका हल निकालते हुए नारद जी ने बताया कि अगर वह अश्विन माह में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत रखते हैं, तो इससे उनके पिता को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाएगी. साथ ही बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होगा.

इसके बाद राजा ने इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi 2024) का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की. साथ ही राजा ने पितरों का श्राद्ध किया, ब्राह्मण भोज और उनके नाम से क्षमता अनुसार दान-पुण्य भी किया, जिसके परिणामस्वरूप राजा के पिता को मुक्ति मिल गई और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई. इतना ही नहीं राजा इंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई. यही वजह है कि आज भी लोग इस व्रत का पालन भाव के साथ करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. HelloCities24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

HelloCities24
HelloCities24
HelloCities24 हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, पॉलिटिक्स, बॉलीवुड, खेल और मनोरंजन से जुड़ी ताजा खबरें लाता है. अपने शहर की बड़ी खबरें सबसे पहले पाएं HelloCities24 पर — भरोसेमंद हिंदी न्यूज प्लेटफॉर्म.
संबंधित खबरें

जरूर पढ़ें

Patna
scattered clouds
34.3 ° C
34.3 °
34.3 °
53 %
4.5kmh
42 %
Wed
34 °
Thu
37 °
Fri
30 °
Sat
33 °
Sun
34 °

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

अन्य खबरें