Income Tax Slabs: इनकम टैक्स को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की बड़ी घोषणा की है. अब 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा. इंडिया में इनकम टैक्स की दरें समय के साथ बदलती रही हैं, जो आर्थिक विकास और जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुसार होती हैं.
Income Tax Slabs: इनकम टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव हुआ है. अब 12 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. लोकसभा में अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने वरिष्ठ नागरिकों के टैक्स छूट की सीमा को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का ऐलान किया है. शनिवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश कर दिया है. लोकसभा में अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने मिडिल क्लास और वरिष्ठ नागरिकों के टैक्स छूट की सीमा को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का ऐलान किया है.
निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल लाएगी. सरकार की योजना भारतीय डाक विभाग को 1.5 लाख ग्रामीण डाकघरों के साथ एक बड़े लॉजिस्टिक्स संगठन में बदलने की है.
इस तरह से समझिए छूट का लाभ
आपकी अगर सालाना इनकम है, तो नई कर व्यवस्था के तहत अभी आपको करीब 71,500 रुपये टैक्स के तौर पर भुगतान करना पड़ता है, लेकिन अब 12 लाख सालाना की आमदनी पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वहीं, 13 लाख की सालाना आमदनी पर आपको फिलहाल 88,400 रुपये टैक्स के तौर पर देना पड़ता था, लेकिन अब 13 लाख की आमदनी पर आपको केवल 66,300 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. वहीं, अगर आप सालाना 15 लाख रुपये कमाते हैं, तो फिलहाल आपको करीब 1.30 लाख रुपये टैक्स के तौर पर देना पड़ता था, लेकिन अब आपको केवल 97,500 रुपये ही देने होंगे.
कब-कब कितना बदला टैक्स स्लैब
1. 1997-98:
1997 में, तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आयकर की दरों में महत्वपूर्ण बदलाव किए. इस वर्ष, 5 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 40% का कर लगाया गया था, जो उस समय का सबसे उच्चतम स्तर था.
2. 2009-10:
वित्त वर्ष 2009-10 में, सरकार ने व्यक्तिगत आयकर पर अधिभार को समाप्त कर दिया था. हालांकि, इसके बाद 2010-11 में, 10 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 10% का अधिभार लागू किया गया.
3. 2014-15:
2014 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने नई कर व्यवस्था पेश की. इस वर्ष, आयकर स्लैब में कुछ बदलाव किए गए थे. 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं था, लेकिन 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय पर 10% और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20% कर लगाया गया.
4. 2018-19:
2018 में, सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर को बढ़ाकर 4% कर दिया. इसने उच्च आय वर्ग पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला. इसके अलावा, इस वर्ष से नए टैक्स स्लैब भी लागू हुए थे.
5. 2020-21:
कोविड-19 महामारी के दौरान, सरकार ने राहत उपायों के तहत कुछ करों को स्थगित किया, लेकिन इसके बावजूद, उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें स्थिर रहीं.
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6. 2021-22:
इस वर्ष में भी सरकार ने टैक्स दरों को स्थिर रखा. हालांकि, कुछ विशेष प्रावधानों के तहत उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें बढ़ाई गईं.
अबतक ये था (2024-25)
इस समय न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक पर कोई टैक्स नहीं लगता. वहीं, 3 से 7 लाख तक की इनकम पर अभी 5 फीसदी टैक्स लगता है. वहीं, 7 से 10 लाख रुपये तक की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स देना होता है. इस समय 10 से 12 लाख रुपये तक की इनकम पर 15 फीसदी टैक्स लगता है.
पुरानी कर व्यवस्था में किसी प्रकार का बदलाव नहीं
सरकार ने पुरानी कर व्यवस्था में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. उसने नई कर व्यवस्था में ही बड़ा बदलाव किया है.
- धारा 80सी के तहत 1,50,000 रुपये तक की छूट
- ईपीएफ, पीपीएफ, जीवन बीमा, ट्यूशन फीस, एनएससी जैसी योजनाएं शामिल
- धारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 25,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये तक)
- होम लोन पर धारा 24(बी) के तहत 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर छूट
- स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 50,000 रुपये तक की छूट
- एलटीए (लीव ट्रैवेल अलाउंस ) और एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस)
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