Jharkhand High Court : झारखंड हाईकोर्ट ने रांची सदर अस्पताल के बाहर प्रसूता को ला रही एंबुलेंस के ट्रैफिक जाम में फंसने की घटना को गंभीर माना है. अदालत ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले पर सुनवाई की और भविष्य में इस तरह की स्थिति टालने के लिए कड़े निर्देश दिए. कोर्ट ने साफ कहा कि अब यदि अस्पताल के मुख्य गेट या परिसर में एंबुलेंस बाधित होती है, तो इसकी जिम्मेदारी ट्रैफिक एसपी और सिविल सर्जन पर होगी.
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि जीवन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नागरिकों का मौलिक अधिकार है. संविधान का अनुच्छेद 21 न सिर्फ जीवन बल्कि आपात स्थिति में समय पर इलाज उपलब्ध कराने की गारंटी भी देता है. अदालत ने पाया कि रांची सदर अस्पताल में मरीजों को पहुंचने में लगातार दिक्कतें आ रही हैं और प्रशासनिक लापरवाही के कारण समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है.
कोर्ट ने जताई नाराजगी
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि पुलिस और अस्पताल प्रबंधन दोनों ही अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं और एक-दूसरे पर दोष डालते रहे हैं. अदालत ने इसे अस्वीकार्य बताया और कहा कि राज्य की जिम्मेदारी है कि लोगों को बिना रुकावट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए.
अवैध पार्किंग पर लगेगी रोक
अदालत ने ट्रैफिक एसपी को निर्देश दिया है कि अस्पताल के प्रवेश द्वार के बाहर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की जाए, ताकि ऑटो और अन्य वाहनों की अवैध पार्किंग से मार्ग अवरुद्ध न हो. साथ ही, पुरुलिया रोड पर भीड़ कम करने और यातायात को सुचारू रखने के लिए अभियान चलाने का आदेश दिया गया है.
अस्पताल परिसर में सुधार की जरूरत
सिविल सर्जन को कहा गया है कि अस्पताल कैंपस के भीतर वाहन पार्किंग की उचित व्यवस्था तुरंत सुनिश्चित करें. यदि भविष्य में लापरवाही से गाड़ियां इस तरह खड़ी पाई जाती हैं कि आपातकालीन मार्ग अवरुद्ध हो, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की होगी. हाईकोर्ट ने साफ किया कि दोनों अधिकारी मिलकर यह देखेंगे कि ऐसी स्थिति दोबारा न दोहराई जाए.
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