Bihar Voter List Case: बिहार में मतदाता सूची का विवाद अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है. आज जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाला बागची की बेंच इस मामले से जुड़ी 28 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. विपक्षी दलों और ADR जैसे संगठनों का आरोप है कि वर्तमान प्रक्रिया संविधान के खिलाफ है और इससे 30 लाख से ज्यादा मतदाता प्रभावित होंगे. इससे पहले कोर्ट ने आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी को मान्य दस्तावेज माना था.
वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर सियासत तेज
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है. विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया के जरिए मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटा दिए गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या दलित, अल्पसंख्यक और प्रवासी मजदूरों की है. इसे वे ‘वोट चोरी’ की कोशिश बता रहे हैं और सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं.
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तेजस्वी का नाम कटा, विजय सिन्हा पर दो वोटर कार्ड का आरोप
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का दावा है कि उनका नाम भी मतदाता सूची से काट दिया गया है, जबकि मौजूदा डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के पास दो वोटर कार्ड होने की बात सामने आई है. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग गरीब और कमजोर वर्गों को वोट से वंचित करने की साजिश कर रहा है.
क्या कहा चुनाव आयोग ने?
चुनाव आयोग का कहना है कि SIR अभियान का मकसद डुप्लिकेट, मृत और गैर-निवासी मतदाताओं के नाम हटाना है. आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी का नाम बिना नोटिस और सुनवाई के नहीं काटा जाएगा. 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट लिस्ट के मुताबिक अब तक 7.23 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म जमा हुए हैं, जबकि विपक्ष का आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया जल्दबाजी और गलत इरादे से की जा रही है.
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